बेहमई। देशभर में चर्चित नरसंहार बेहमई कांड की सुनवाई 39 साल बाद पूरी हो गई है।

कल यानी की 6 जनवरी 2020 को इस मामले पर फैसला आ सकता है। कानपुर से 95

किमी दूर बेहमई में 14 फरवरी 1981 को बेहमई कांड हुआ था। जिसमें फूलन और उसके

35 साथियों ने 20 लोगों को गोलियों से भून दिया था।

 

 

यह ऐसा मामला है, जिसमें 35 आरोपियों में से सिर्फ 5 पर केस शुरू हुआ। इनमें श्याम बाबू,

भीखा, विश्वनाथ, पोशा और राम सिंह शामिल थे। राम सिंह की 13 फरवरी 2019 को जेल में

मौत हो गई।

 

पोशा जेल में बंद है। तीन आरोपी जमानत पर हैं। इस केस में सिर्फ 6 गवाह बनाए गए थे।

अब 2 जिंदा बचे हैं। वहीं मुकदमे की सुनवाई के दौरान फूलन समेत 15 आरोपियों की

मौत हो चुकी है।

यूं ही नहीं बनी फूलन देवी बैंडिट क्वीन

 

10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन के घूरा का पुरवा गांव में फूलन देवी का जन्म एक

मल्लाह परिवार में हुआ था। फूलन देवी का बचपन बेहद गरीबी में बीता था, लेकिन वो बचपन

से ही दबंग थीं। 10 साल की उम्र में जब उन्हें पता चला कि चाचा ने उनकी जमीन हड़प ली है

तो चचेरे भाई के सिर पर ईंट मार दी थी। ऐसे में चाचा ने फूलन पर डकैती का केस दर्ज करा

दिया।

 

फूलन को जेल हुई। वह जेल से छूटी तो डकैतों  के संपर्क में आई। दूसरी गैंग के लोगों ने फूलन

का गैंगरेप किया। इसका बदला लेने के लिए फूलन ने बेहमई के 20 लोगों को गोलियों से भून

दिया था। इसी घटना के बाद फूलन देवी बैंडिट क्वीन कहलाने लगी।

 

इस शख्स ने आंखों देखा था बेहमई नरसंहार

इस मुकदमें के चश्मदीद व इकलौता वादी ठाकुर राजाराम ने 14 फरवरी 1981 के पूरे

नरसंहार के बारे में बताया कि दोपहर दो से ढाई बजे के बीच का वक्त था। तब फूलन और

उसके साथियों ने गांव को घेरना शुरू किया। पहले किसी ने ध्यान नहीं दिया, क्योंकि

उस समय डाकुओं के ज्यादातर गैंग इसी गांव से गुजरा करते थे। लेकिन फूलन और

उसके साथी घरों में लूटपाट करने लगे। गांव की ज्यादातर महिलाएं

खेतों में काम करने गई थी। मर्द घर पर थे। फूलन ने हर घर से मर्दों को टीले के पास

इकट्‌ठा करना शुरू किया। मैंने यह सब थोड़ी दूरी पर झाड़ियों में छुपकर देखा।

तभी फूलन ने पूछा कि लालाराम और श्रीराम (फूलन का आरोप था कि इन दोनों

ने दुष्कर्म किया और सामूहिक दुष्कर्म की साजिश रची) को रसद कौन देता है

और हमारी मुखबिरी कौन करता है? उस समय फूलन के साथ तकरीबन 35 से

40 लोग थे। टीले के पास गांव के 23 लोग और 3 मजदूर पकड़कर लाए गए थे।

अचानक से उन लोगों ने गोलियां चला दीं। सब भरभराकर गिर पड़े। एक साथ 20

लोगों को गोली मार दी थी। तकरीबन शाम 4 से 4.30 बजे फूलन अपने साथियों

के साथ वहां से निकल गई। इतनी गोलियां चली थीं कि कई किमी तक उसकी

आवाज सुनाई दी थी। कई घंटों तक महिलाओं के रोने की आवाज आती रही।

जानवर चिल्ला रहे थे। अजीब दहशत भरी शाम थी। तकरीबन 3 से 4 घंटे

बाद पुलिस पहुंची थी। तब उसी दिन मैंने आगे बढ़कर मुकदमा दर्ज करवाया था।

 

2001 में फूलन देवी की हत्या कर दी गई

बेहमई कांड के बाद बाद फूलन देवी ने मध्य प्रदेश पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था।

मीरजापुर से लोकसभा की सांसद चुने जाने के पहले वह काफी दिनों तक ग्वालियर और

जबलपुर जेल में रहीं। साल 2001 में शेर सिंह राणा नाम के व्यक्ति ने दिल्ली में

फूलन देवी के घर के बाहर ही उनकी हत्या कर दी थी।

 

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