नई दिल्ली:इस बार लोहड़ी 13 को नहीं 14 को मनाई जायगी 

मकर संक्रांति  से एक दिन पहले धूमधाम से लोहड़ी  मनाई जाती है। यह पर्व पंजाब और हरियाणा के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है।

मान्‍यता है कि लोहड़ी के दिन साल की सबसे लंबी अंतिम रात होती है। और अगले दिन से धीरे-धीरे दिन बढ़ने लगता है।

लोहड़ी कब है?

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार लोहड़ी हर साल पौष माह की अंतिम रात को मनाई जाती  है।

वैसे आमतौर पर लोहड़ी हर साल 13 जनवरी को पड़ती है, लेकिन इस बार यह त्‍योहार 14 जनवरी को है मनाया जाएगा।

वहीं, मकर संक्रांति 15 जनवरी को है।

क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?

लोहड़ी को लेकर कई मान्‍यताएं प्रचलित हैं। एक पौराणिक मान्‍यता के अनुसार प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती के पति महादेव शिव शंकर का तिरस्‍कार किया था।

राजा ने अपने दामाद को यज्ञ में शामिल नहीं किया। इसी बात से नाराज होकर सती ने अग्निकुंड में अपने प्राणों की आहुति ‍ दे दी थी।

कहते हैं कि तब से ही प्रायश्चित के रूप में लोहड़ी मनाने का चलन शुरू हुआ

 लोहड़ी कैसे मनाई जाती है?

लोहड़ी के लिए कई दिनों पहले से ही लकड़िया इकट्ठा की जाती हैं। पंजाब में तो बच्‍चे लोक गीत गाते हुए घर-घर जाकर लोहड़ी के लिए लकड़िया जुटाते हैं।

इन लकड़ीयो को किसी खुले और बड़े स्‍थान रखा जाता है, लोहड़ी की रात सभी लोग लकड़ीयो के इस झुंड के चारों ओर इकट्ठा होते हैं।

फिर पारंपरिक तौर-तरीकों से आग लगाई जाती है। इस अग्नि के चोरों ओर लोग नाचते-गाते हुए उसमें मूंगफली, गजक, पॉपकॉर्न, मक्‍का और रेवड़ी की आहुति देते हैं।

इस दौरान पारंपरिक लोक गीतों को गाया जाता है। पंजाब में लोग लोकनृत्‍य भांगड़ा और गिद्धा करते हैं।

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