टीआरपी डेस्क। पूर्व प्रधानमंत्री और करीम लाला को लेकर शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत के बयान पर खूब बवाल मचा। यूं तो 70 के दशक में अंडरवर्ल्ड चर्चा में आया था, लेकिन 1993 में मुंबई में हुए बम धमाकों के बाद से लेकर अब तक के दो दशक में अंडरवर्ल्‍ड का चेहरा काफी बदल गया है।

आपको बता दें कि 1950 में मुंबई में शराब की बिक्री पर रोक लगा दी गई। इसके बाद यह धंधा भूमिगत तरीके से चलने लगा। कई गुंडों और मोहल्‍लों के दादाओं ने अपने-अपने इलाकों में शराब की गैरकानूनी भट्टियां लगाना शुरू कर दी।

धीरे-धीरे इन सभी ने मिलकर अपना नेटवर्क बनाया और अवैध शराब बनाने से लेकर इसके वितरण तक का काम शुरू कर दिया। इस पूरे एपिसोड के दौरान पुलिस की भूमिका भी संदिग्‍ध मानी गई थी क्‍योंकि पुलिस की नाक के नीचे यह धंधे पनप रहे थे। और यही मायानगरी में अंडरवर्ल्‍ड की दस्‍तक थी।

जानिए मुंबई अंडरवर्ल्ड के  बारे में 

करीम लाला

 

1940 में पश्‍तून मूल के अफगानिस्‍तानी नागरिक करीम लाला मुंबई आया था। करीम लाला को मुंबई का असली डॉन माना जाता था। मुंबई में माफिया का चलन करीम लाला ने ही शुरू किया था।

करीम लाला ने गुंडों की एक गैंग बनाई थी। 1980 में करीम लाला के बेटों और भांजे की हत्‍या के बाद इसके हाथ से मुंबई का धंधा जाता रहा। इसके बाद उसने शांतिपूर्ण जिंदगी जीना शुरू किया और 2002 में 90 साल की उम्र में उसकी मौत हो गई।

 

हाजी मस्‍तान

 

हाजी की जिंदगी को कई किरदारों ने फिल्‍मी परदे पर भी जिया है। सफेद कपड़े पहनने वाला और ड्राइवर वाली मर्सडीज कार में चलने वाला हाजी मस्तान मूल रूप से तमिल था।

वह 1955 में तमिलनाडु से मुंबई में आकर बसा था। 17 साल की उम्र तक वो केवल तमिल ही बोलता था, लेकिन तस्‍करी के मामले में जेल की हवा खाने के दौरान उसने हिंदी सीखी। 1970 में वह फिल्‍म वितरक बन गया था। 1994 में दिल के दौरे की वजह से मुंबई में उसकी मौत हो गई थी।

 

वरदराजन मुदलियार

 

1960 में विक्‍टोरिया टर्मिनस पर कुली का काम करने वाला वरदराजन, मुंबई का सबसे कुख्‍यात और क्रूर गैंगस्‍टर माना जाता है। तमिलनाडु से विस्‍थापित हुआ वरदराजन, 1980 आते-आते अपनी समानांतर अदालत चलाने लगा था।

वह धारावी और माटुंगा के बीच के विवादों की सुनवाई करता था। 1980 के मध्‍य तक मुंबई पुलिस उसके पीछे पड़ गई और उसे जान बचाने के लिए तमिलनाडु भागना पड़ा था। 1988 में उसकी वहीं मौत हो गई थी।

 

युसुफ पटेल

पटेल ने हाजी मस्‍तान के साथ अपनी शुरुआत की थी। शुरू में वह तस्‍करी करता था, लेकिन 80 के दशक में उसने अपनी कंस्‍ट्रक्‍शन कंपनी शुरू कर दी और जमीनों के रिकॉर्ड में हेर-फेर करना शुरू कर दिया।

मुंबई के चर्चित फ्लोर स्‍पेस इंडेक्‍स घोटाले के पीछे पटेल का हाथ माना जाता है। धंधा बदलने का फायदा पटेल को मिला और उसने अपनी बाकी जिंदगी सुकून से गुजारी।

 

राजन नायर उर्फ बड़ा राजन

छोटा राजन को बनाने में बड़ा राजन का ही हाथ था। मुंबई में रहने वाले केरली परिवार में जन्‍मा बड़ा राजन फिल्‍मों के टिकट की कालाबाजारी करता था। जल्‍द ही वह मदलियार और दाऊद इब्राहिम के साथ जुड़ गया। धंधे को लेकर रार बढ़ी तो 1983 में बड़ा राजन की हत्‍या करवा दी गई।

 

दाउद इब्राहिम

पुलिस कॉन्‍स्‍टेबल का बेटा दाऊद इब्राहिम, गैंगवार को देखते हुए बड़ा हुआ था। पिता के नाम का फायदा उठाते हुए दाऊद इब्राहिम ने छोटी-मोटी वसूली के रूप में अंडरवर्ल्‍ड की ओर कदम बढ़ाए थे। जल्‍द ही वह करीम लाला की गैंग से जुड़ गया।

लाल के बड़े बेटे की मौत के बाद दाऊद ने उसका धंधा संभाला और डी-कंपनी नाम से अपनी नई गैंग बनाई। दाऊद ने मुंबई अंडरवर्ल्‍ड का नया नक्‍शा भी खींचा था। वह अपने दुश्‍मनों को कभी नहीं छोड़ता था और अनबन होने पर अपने करीबी को मारने से भी नहीं चूकता था।

दाऊद इब्राहिम ने अंडरवर्ल्‍ड को मैच फिक्सिंग, बॉलीवुड, उगाही, स्‍मगलिंग तथा रियल एस्‍टेट की दुनिया में स्‍थापित किया। 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार धमाके के बाद वह देश का सबसे बड़ा आतंकी तथा मोस्‍ट वांटेड अपराधी बन चुका था। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि वह पाकिस्‍तान में रहकर अपने कारनामों को अंजाम दे रहा है।

अरुण गवली

अरुण गवली का जन्म 17 जुलाई 1955 को अहमदनगर जिले में हुआ था। उसके बचपन का नाम अरुण गुलाबराव अहीर था 2004 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अरुण गवली ने अपने कई उम्मीदवार उतारे और खुद भी चिंचपोकली सीट से चुनाव लड़ा और जीत गया।

हमेशा सफेद टोपी और सफेद कुर्ता पहनने वाला महाराष्ट्रमुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन, गैंगस्टर और माफिया नेता अरुण गवली सेंट्रल मुम्बई की दगली चॉल में रहा रहता था। दावा किया जाता है कि पुलिस भी वहां उसकी इजाजत के बिना नहीं जाती थी।

वहां गवली की सुरक्षा में हर समय हथियार बंद लोग तैनात रहते थे। 1990 में जब मुंबई में गैंगवार जोरों पर था, तब सारे गैंगस्‍टरों के बीच अरुण गवली ही था, जो मुंबई छोड़कर नहीं गया था। गवली फिलहाल नागपुर सेंट्रल जेल में शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांदेकर की हत्या के मामले में सजा काट रहा है।

छोटा राजन

छोटा राजन का नाम अंडरवर्ल्‍ड में पहली बार तब सुनाई दिया था, जब उसने क्रिकेट स्‍टेडियम में गैंगस्‍टर अब्‍दुल कुंजू को मौत के घाट उतारा था। कुंजू ने छोटा राजन के सरपरस्‍त बड़ा राजन की हत्‍या की थी।

छोटा राजन के कारनामे से दाऊद काफी प्रभावित था और उसने उसे अपनी गैंग का हिस्‍सा बना लिया था। एक समय ऐसा भी आया जब राजन को दाऊद का सबसे खास सिपहसालार माना जाने लगा था।

इस बीच अंडरवर्ल्‍ड में छोटा शकील का नाम तेजी से उभरा और वह दाऊद की नजदीकी पाने लगा। यहीं से राजन और दाऊद के बीच तल्‍खी की नींव पड़ी थी। 1993 के धमाकों के बाद राजन ने खुद को दाऊद से अलग कर लिया और देशभक्‍त डॉन होने की डींगें भरने लगा। वह मलेशिया में रह रहा था और हाल ही में उसे इंडोनेशियाई पुलिस ने गिरफ्तार कर भारत के हवाले किया है।

छोटा शकील

1970 में छोटा शकील का नाम अंडरवर्ल्‍ड में तेजी से उभरा और वह डी-कंपनी का खास कारिंदा बन गया। मुंबई धमाकों के बाद शकील भी पाकिस्‍तान चला गया था।

 

इकबाल मिर्ची

 

मिर्ची और मसालों का कारोबार करने वाले परिवार में जन्‍म लेने की वजह से इकबाल का उपनाम मिर्ची पड़ा था। लेकिन उसने पारिवारिक व्‍यवसाय में शामिल होने के बजाय अंडरवर्ल्‍ड की राह चुनी।

सबसे पहले उसने ड्रग्‍स का धंधा शुरू किया था। बाद में उसने फिशरमैन्‍स नाम से एक नाइटक्‍लब शुरू किया। 90 के दशक में इकबाल मिर्ची, यूनाइटेड किंगडम चला गया और वहीं से डी-कंपनी का नारकोटिक्‍स धंधा संभाल रहा था। 2013 में हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हो गई थी।

 

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