नई दिल्ली। निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में मौत की सजा पाने वाले एक दोषी ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी, जिसमें अदालत ने दिसंबर 2012 में अपराध के समय उसके नाबालिग होने के दावे को खारिज कर दिया था।

दोषी पवन कुमार गुप्ता ने उच्च न्यायालय के 19 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें अदालत ने फर्जी दस्तावेज जमा करने और अदालत में हाजिर नहीं होने के लिए उनके वकील की निंदा भी की थी।

वहीं, निर्भया बलात्कार मामले में चारों गुनाहगारों का शुक्रवार को नया डेथ वारंट जारी हो गया। चारों को एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में फांसी दी जायेगी। पटियाल हाउस अदालात ने आज निर्भया मामले पर सुनवाई करते हुए नया डेथ वारंट जारी किया।

इससे पहले चारों दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जानी थी। इस मामले के एक दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज खारिज कर दी। मुकेश की दया याचिका खारिज होने के बाद प्रक्रिया के तहत नया डेथ वारंट जारी करना पड़ा और फांसी की तिथि भी आगे बढ़ानी पड़ी।

राजधानी में 16 दिसंबर 2012 की रात को दिल दहला देने वाले इस कृत्य के तीन अन्य दोषी पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्ष्य कुमार सिंह हैं जिन्हें फांसी दी जानी है। इस मामले में कुल छह लोग शामिल थे जिसमें एक नाबालिग था और वह तीन साल की सजा पूरी करने के बाद छूट गया जबकि एक अन्य ने मुकदमें के दौरान ही जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

मुकेश सिंह ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेज कर फांसी की तारीख टलवा दी। मुकेश के वकील ने पटियाला हाउस कोर्ट में कहा था कि इस मामले में अभी बहुत सारी प्रक्रिया होनी बाकी हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुकेश की याचिका में हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए कहा था कि वह इसके लिए ट्रायल कोर्ट में जाएं। दोनों पक्ष की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोरा ने आज फैसला देते हुए कहा कि सभी दोषियों को एक फरवरी सुबह छह बजे फांसी दी जाएगी।

 

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