वरिष्ठ वकील ने अपील की थी कि वे सोनिया गांधी का उदाहरण फॉलो कर दोषियों को माफ करें

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने के लिए शुक्रवार को नया मृत्य वारंट जारी किया।

इस बीच वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने निर्भया की मां से अपील की है कि वे 2012 में निर्भया से गैंगरेप और हत्या के दोषियों को माफ कर दें। उनके लिए मौत की सजा न मांगें।

वकील जयसिंह ने ट्वीट कर यह अपील की है। जब दिल्ली की एक अदालत ने चार दोषियों की फांसी की तारीख को टाल दिया, तब निर्भया की मां आशा देवी ने निराशा जाहिर की और उसके तुरंत बाद वकील इंदिरा जयसिंह ने यह अपील की।

उन्होंने अपने ट्विटर पर लिखा- जबकि मैं आशा देवी के दर्द से पूरी तरह वाकिफ हूं, मैं आग्रह करती हूं कि वे सोनिया गांधी के उदाहरण को फॉलो करें, जिन्होंने नलिनी को माफ कर दिया और कहा कि वह उसके लिए मौत की सजा नहीं चाहती। हम आपके साथ हैं लेकिन मौत की सजा के खिलाफ हैं।

इंदिरा सलाह देने की हिम्मत कैसी कर सकती हैं : निर्भया की मां

वहीं निर्भया की मां ने कहा कि इंदिरा जयसिंह की अपील पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह उन्हें सलाह देने वाली कौन होती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों की वजह से ही रेप पीडि़तों के साथ इंसाफ नहीं हो पाता है।

जब तक दोषियों को फांसी नहीं होती तबतक वह संतुष्ट नहीं होंगी। विश्वास नहीं होता कि आखिर इंदिरा जयसिंह मुझे ऐसा सुझाव देने की हिम्मत कैसे कर सकती हैं। बीते सालों में सुप्रीम कोर्ट में उनसे कई बार मुलाकात हुई। उन्होंने एक बार भी हालचाल नहीं पूछा और आज वह दोषियों के लिए बोल रही हैं।

आरोपियों के खिलाफ मौत का नया वारंट जारी

दिल्ली की एक अदालत ने निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी पर लटकाने के लिए शुक्रवार को नया मृत्य वारंट जारी किया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा ने चारों दोषियों को एक फरवरी को सुबह छह बजे फांसी दिये जाने का आदेश देते हुए उन्हें मृत्युदंड दिये जाने में देरी पर निराशा प्रकट की।

उन्होंने कहा कि यह मामला एक ऐसा परिदृश्य पेश करता है जब दोषियों को दया याचिका दाखिल करने का अवसर दिया गया लेकिन केवल एक ने इसे दाखिल किया। यह देरी करने की चाल हो सकती है।

यह कितने लंबे समय तक चलेगा? मौत का वारंट जारी नहीं किया जाता तो दोषी अपने कानूनी उपायों की दिशा में पहल नहीं करते। जज अरोड़ा निर्भया कांड के दोषी मुकेश कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे जिसमें फांसी की तारीख को 22 जनवरी से टालने की मांग की गयी थी।

दिल्ली सरकार के अनुसार जेल नियमों में दया याचिका खारिज करने और फांसी दिये जाने के बीच 14 दिन का अंतर होना अनिवार्य है। जेल अधिकारियों ने तैयारियां कर ली हैं।

 

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