नई दिल्ली। रियल एस्टेट क्षेत्र के डेवलपरों ने इस क्षेत्र के उद्योग को दर्जा देने

की पुरानी मांग को दोहराते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री से होम लोन पर देय ब्याज

पर 100 फीसदी तक छूट (कटौती) देने की मांग की है। संगठन का कहना है।

कि यदि वर्ष 2022 तक सबको आवास उपलब्ध कराना है तो सरकार

को अर्फोडेबल हाउस की भी परिभाषा बदलनी चाहिए।

सतीश मागर ने कहा कि इस समय देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)

में रियल एस्टेट क्षेत्र की हिस्सेदारी करीब आठ फीसदी है और कृषि के बाद

यह दूसरा ऐसा क्षेत्र है जो सबसे ज्यादा रोजगार उपलब्ध कराता है।

वैसे भी नोटबंदी के बाद से ही कृषि के क्षेत्र में सुस्ती है।

कहा ये मांग पुरानी है, लेकिन अभी तक उसे यह दर्जा नहीं मिला है।

यदि इस क्षेत्र को उद्योग का दर्जा मिल जाए तो इसे भी अन्य क्षेत्र

की तरह वित्त पोषण में दिक्कत नहीं होगी।

क्रेडाई का कहना है कि इस समय किसी भी वैयक्तिक करदाता को होम लोन

पर देय ब्याज पर डिडक्शन मिलता है। लेकिन यह लाभ तभी मिलता है,

जब होम लोन एक अप्रैल 2016 से 31 मार्च 2017 के बीच स्वीकृत हुआ हो और

यह रकम 50 हजार रुपये से अधिक नहीं हो। इसलिए सरकार इस समयसीमा

को 31 मार्च 2022 तक बढ़ा दे। साथ ही पहले मकान के लिए होम लोन पर

जितना भी ब्याज चुकाया गया हो, उसका शत प्रतिशत डिडक्शन मिलना चाहिए।

अर्फोडेबल हाउस के लिए लागू हो रेरा की परिभाषा

अफोर्डेबल हाउस की परिभाषा बदलने की जरूरत है। सरकार को चाहिए कि इस बारे

में रेरा की जो परिभाषा है, उसे ही सभी सरकारी एजेंसियों के लिए लागू करे। इस समय

रेरा ने मेट्रो शहरों में 60 वर्ग मीटर के कारपेट एरिया वाले मकानों को जबकि अन्य

जगहों पर 90 वर्ग मीटर के कारपेट एरिया के मकानों को अर्फोडेबल हाउस का दर्जा दिया है।

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