महाराष्ट्र सरकार बोली- फैसला संविधान के खिलाफ भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हिंसा भड़की थी
मुंबई। भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को हुई हिंसा से जुड़े सभी मामलों की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) करेगी। केंद्र सरकार के इस फैसले पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कड़ी आपत्ति जताई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना मामले की जांच एनआईए को सौंप दी, यह संविधान के खिलाफ है। पिछले दो साल से भीमा कोरेगांव से जुड़े सभी मामलों की जांच महाराष्ट्र पुलिस कर रही थी।
केंद्र का यह फैसला महाराष्ट्र सरकार द्वारा भीमा कोरेगांव मामले को लेकर समीक्षा बैठक के एक दिन बाद आया है। गुरुवार को उपमुख्यमंत्री अजित पवार और गृहमंत्री अनिल देशमुख ने भीमा कोरेगांव मामले की अधिकारियों के साथ समीक्षा की थी।
बैठक में कुछ केस वापस लिए जाने पर चर्चा हुई थी : देशमुख
गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बताया कि भीमा कोरेगांव मामले की समीक्षा बैठक में कुछ केस वापस लिए जाने और पूरे मामले की एसआईटी द्वारा जांच कराए जाने पर चर्चा हुई थी।
आशंका है कि अब केंद्र और राज्य में बीच इस मामले को लेकर खींचतान बढ़ सकती है। वहीं, पूर्व सीएम फडणवीस ने इस मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने को सही कदम बताया।
उन्होंने कहा, ‘यह सही फैसला है। क्योंकि मामला सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित नहीं है। यह पूरे देश में बढ़ रहा है। जांच से देशभर में फैले अर्बन नक्सलियों का खुलासा होगा।
मामले में 19 आरोपी
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 आरोपी हैं। पुलिस द्वारा अदालत में कुछ महीने पहले पेश की गई ड्राफ्ट चार्जशीट के मुताबिक, आरोपी पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या की तरह ही रोड शो के दौरान पीएम मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे।
आरोपियों में मानवाधिकार वकील, शिक्षाविद और लेखक शामिल हैं। पुलिस ने इनका संबंध प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी), कबीर कला मंच (केकेएम) से बताया है।
पुणे में ऐसे हुई थी हिंसा
31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन 1 जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा हुई थी। इसमें एक युवक की जान चली गई थी। साथ ही करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था।
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