नई दिल्ली। 15 अप्रैल, 2013 गुड़िया सामूहिक दुष्कर्म मामले में दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने दोषियों मनोज और प्रदीप को 20-20 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही कोर्ट ने 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश नरेश कुमार मल्होत्रा ने पॉक्सो एक्ट-6 के तहत दोषियों को ये सजा सुनाई है। अदालत ने ये जुर्माना पीड़िता को देने को कहा है।

बचपन बचाओ आंदोलन संस्था की ओर से पीड़िता का केस लड़ रहे वरिष्ठ वकील एचएस फुल्का ने कोर्ट के फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए कहा कि इस मामले में दोषियों को आजीवन कारावास की सजा होनी चाहिए थी। साथ ही, पीड़िता को 25 लाख रुपए तक मुआवजा मिलना चाहिए था। इसलिए इस फैसले को हम ऊपरी अदालत में चुनौती देंगे।

यह था पूरा मामला :

घटनाक्रम के मुताबिक, 15, अप्रैल, 2013 को पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में मनोज और प्रदीप ने पड़ोस में रहने वाली बच्ची गुड़िया का अपहरण किया। इसके बाद दोनों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं, दरिंदगी की हद पार करते हुए उसके शरीर को मोमबत्ती और बोतल जैसी चीजों का इस्तेमाल करके उसे बुरी तरह जख्मी हालत में छोड़ दिया था, ताकि वह मर जाए।

इसके बाद उसे अकेले कमरे में छोड़कर मनोज और प्रदीप भाग गए थे। वहीं, दो दिन की खोजबीन के बाद बच्ची गुड़िया कमरे में बेहोश मिली। इसके बाद उसे गंभीर हालत में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। यहां पर लंबे इलाज के बाद उसकी हालत में सुधार आया था।

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