रायपुर। केन्द्र सरकार के बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि यह शुतुरमुर्ग प्रवृत्ति का बजट है। जो मूलभूत समस्याओं से मुंह छिपाकर ख़ुश होना चाहता है।

उन्होंने कहा है कि इस समय देश में मांग की कमी है जिसकी वजह से देश मंदी की ओर जा रहा है और इसके मूल में जनता की जेब में पैसों की कमी है लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने जनता तक पैसा पहुंचाने का कोई इंतजाम नहीं किया है।

भारत में बेरोजगारी की दर सर्वाधिक

मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस समय भारत में बेरोजगारी की दर सर्वाधिक है। केंद्र सरकार इसके आंकड़े छिपाती है इसमें आश्चर्य नहीं है लेकिन बजट में रोजगार और बेरोजगारी का जिक्र ही न होना दुखद है। देश में किसानों को सम्मान निधि का पैसा नहीं मिल रहा है इस पर वित्त मंत्री चुप रह गईं।

छत्तीसगढ़ धान उगाने वाले किसानों का प्रदेश है जिसकी 80 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है। इन किसानों के लिये निर्मला जी के बजट में कोरी जुमलेबाजी तो है लेकिन किसानों को सच्ची राहत पहुंचाने के लिये कुछ भी नहीं किया गया है।

2022 में किसानों की आय दुगुनी करने की तमाम घोषणाएं कैसे पूरा होगी, इस पर बजट खामोश है।
उन्होंने कहा है कि बजट सरकारी संस्थाओं पर अविश्वास की एनडीए सरकार की धारणा को आगे बढ़ाता है और सभी संस्थाओं को कमज़ोर करने की राह पर ले जाता है।

झूठ और जुमलों की पुड़िया है बजटः मोहन मरकाम

वहीं मोदी टू के दूसरे बजट को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने निराशाजनक एवं झूठ और जुमलों की पुड़िया करार दिया। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश की जनता को बेहतर जीवन देने के आश्वासन देने में भी असफल रही है।

देश की जनता मोदी टू के दूसरे बजट से बड़ी आस लगाये बैठी थी, लेकिन वित्त मंत्री जी के बजट ने देश की जनता के उम्मीदों पर पानी डाला है। आदिवासियों के लिये बजट में कोई विशेष प्रावधान नहीं दिया जाना दुखद।

पांच ट्रिलियन इकोनामी की बात जुमला ही निकली? बजट में रोजगार शब्द का जिक्र तक नहीं? पांच नए स्मार्ट सिटी बनाएंगे? पिछले सौ स्मार्ट सिटी का जिक्र तक नहीं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों की संख्या बढ़ कैसे गई?

एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का निर्णय दुखद

देश की गिरती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, रोजगार की विकराल समस्या, महिलाओं की सुरक्षा, किसानों के आमदनी बढ़ाने एवं कृषि क्षेत्र में लागत कम करने, सस्ती शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा, सुरक्षा और उद्योग जगत को मजबूत नीति देने में मोदी सरकार असफल सिद्ध हुई है।

बीते 6 साल के कार्यकाल में ध्वस्त हुई रोजी रोजगार व्यापार उद्योग कैसे पुनर्जीवित होंगे इसके लिए कोई नीति निर्धारण बजट में नहीं दिखा। भारतीय खुदरा बाजारों में वह 100 प्रतिशत एफडीआई के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एफडीआई को प्राथमिकता देकर मोदी, निर्मला की सरकार ने व्यापार जगत की तरह ही शिक्षा क्षेत्र को भी तबाह करने का इतंजाम कर दिया।

चिकित्सा उपकरण के नाम पर एक प्रतिशत सेस और बढ़ा दिया गया। ऑडिट लिमिट, टीडीएस और कटौती में कोई छूट नहीं बढ़ायी गयी। भागीदारी फर्मो के लिये आयकर की दर अब भी 30 प्रतिशत है।

रासायनिक खादो के उपयोग में कमी बात इसलिये कर रहे है, क्योंकि खाद की आपूर्ति नहीं कर पा रहे है और लगातार देश की किसान खाद को लेकर परेशान है। एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का निर्णय दुखद है। 10 सरकारी बैंको के विलय का फैसला युवा, बेरोजगार विरोधी है।

 

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