कौशलेंद्र सिंह वर्ष 2009 से 2014 तक नान के एमडी थे

रायपुर। नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने सोमवार को तत्कालीन एमडी कौशलेंद्र सिंह से लंबी पूछताछ की है। पूछताछ में कई बातें सामने आने की खबर है।

बता दें कि कौशलेंद्र सिंह वर्ष 2009 से 2014 तक नान के एमडी थे। नान घोटाला उजागर के बाद जांच के दौरान कई ऐसे अहम साक्ष्य ईओडब्ल्यू को मिले थे, जो घोटाले में उनकी संलिप्तता से जुड़े रहे, लिहाजा उन्हें भी जांच के दायरे में लाया गया था।

नान घोटाला मामले के मुख्य किरदार रहे चिंतामणि चंद्राकर को पद और कद से ज्यादा छूट दिए जाने को लेकर भी कौशलेंद्र सिंह सवालों के घेरे में हैं। नियम से परे जाकर उन्होंने चंद्राकर को अधिकार दिए थे। उन पर यह भी आरोप है कि नान में चल रहे घोटाले की जानकारी उन्हें थी। ऐसे में घोटाले में कौशलेंद्र सिंह की भूमिका भी ईओडब्ल्यू तलाश रहा है।

सूत्र बताते हैं कि जांच में यह तथ्य उजागर हुआ है कि तत्कालीन एमडी तक घोटाले की बड़ी रकम पहुंची। बताते हैं कि नान में छापे पडऩे के बाद यह खुलासा हुआ था कि बड़े पैमाने पर घोटाला किया जा रहा है।

तब वहां कई आला अधिकारियों को आरोपी बनाया गया, लेकिन घोटाला इससे पहले भी चल रहा था। बड़े पैमाने पर अवैध रकम की उगाही की जा रही थी। इसका पूरा ब्यौरा डायरी में दर्ज किया जाता रहा था। ईओडब्ल्यू को जांच के दौरान यह क्लू मिला और यही वजह रही कि तत्कालीन एमडी कौशलेंद्र सिंह भी घेरे में आ गए।

ईओडब्ल्यू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि एमडी रहते हुए कौशलेंद्र सिंह ने सहायक प्रबंधकों के 12 पदों के लिए सीधी भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था, तब भी शासन स्तर पर इसकी जांच की गई थी। बावजूद इसकी भर्ती कर ली गई।

इस मामले की शिकायत के बाद साल 2014 में नियुक्तियों को अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया गया। नियम को ताक पर रख की गई भर्ती के मामले में एमएल प्रसाद और केएस श्रेय के खिलाफ कार्रवाई की गई, लेकिन कौशलेंद्र सिंह के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। तब वह प्रतिनियुक्ति पर नान में पदस्थ थे। ईओडब्ल्यू इन तमाम मसलों को भी जांच के दायरे में रखे हुए हैं।

 

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