सीएए और एनआरसी पर देशभर में हो रहा है बवाल

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजन (एनआरसी) पर देशभर में विपक्षी दलों द्वारा मचे बवाल के बीच सरकार ने आज साफ किया है कि अभी तक एनआरसी को लागू करने पर कोई फैसला नहीं किया गया है। बता दें कि विपक्षी दल एनआरसी का विरोध कर रहे हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का लोकसभा में जवाब

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (फाइल फोटो)
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि अभी तक सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर एनआरसी बनाने का कोई निर्णय नहीं लिया है। दिल्ली में विपक्षी दलों ने सीएए और एनआरसी के विरोध में बैठक भी की थी। हालांकि इस बैठक में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और बीएसपी चीफ मायावाती शामिल नहीं हुई थी।

राष्ट्रपति के अभिभाषण में भी एनआरसी का जिक्र नहीं

सरकार ने इस मुद्दे पर कई बार बयान देकर रुख साफ करने की कोशिश की। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को बजट सत्र की शुरुआत पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए एनआरसी का कोई जिक्र नहीं किया था।

हालांकि सात महीने पहले ही उन्होंने यह घोषणा की थी कि डाटाबेस के लिये हर भारतीय के बारे में ‘प्राथमिकता के आधार पर’ जानकारी जुटाई जाएगी। नयी लोकसभा के गठन के फौरन बाद 20 जून 2019 को कोविंद ने कहा था कि अवैध घुसपैठिए भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिये बड़ा खतरा हैं और इससे देश के कई हिस्सों में सामाजिक असंतुलन बढऩे के साथ ही आजीविका के सीमित अवसरों पर काफी दबाव है।

उन्होंने कहा था कि मेरी सरकार ने ‘एनआरसी’ को घुसपैठ से प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर लागू करने का फैसला किया है। घुसपैठ को रोकने के लिए सीमा पर सुरक्षा और पुख्ता की जाएगी।

पीएम मोदी ने भी एनआरसी पर साफ किया था रुख

देश भर में एनआरसी और सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। संसद ने दिसंबर 2019 में ष्ट्र्र को लेकर कानून बनाया था। प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 दिसंबर 2019 को एनआरसी पर सभी आशंकाओं को दूर करने के प्रयास के तहत कहा था कि उनकी सरकार ने कहा था कि उनकी सरकार ने 2014 में पहली बार सत्ता में आने के बाद से कभी इस पर चर्चा नहीं की।

उन्होंने कहा था कि इस पर न संसद में चर्चा हुई न ही मंत्रिमंडल में। मोदी ने कहा कि मैं 130 करोड़ देशवासियों को बताना चाहता हूं कि 2014 में पहली बार मेरी सरकार के सत्ता में आने के बाद से एनआरसी पर कभी चर्चा नहीं हुई।

उन्होंने कहा कि यह उच्चतम न्यायालय के आदेश की वजह से सिर्फ असम में किया गया। मोदी ने कहा कि नागरिकता कानून या एनआरसी का भारतीय मुसलमानों से कुछ लेना देना नहीं है। उन्हें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कांग्रेस, उसके सहयोगियों और ‘शहरी नक्सलियोंÓ पर यह अफवाह फैलाने का आरोप लगाया कि मुसलमानों को निरोध केंद्रों में भेजा जाएगा।

 

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