कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने सीएम बघेल से की थी जांच की मांग :

रायपुर। राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के ओएसडी रहे अरुण बिसेन की पत्नी जागेश्वरी बिसेन की नया रायपुर विकास प्राधिकरण (एनआरडीए) में हुई अनियमित नियुक्ति मामले की जांच का जिम्मा आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू ) को सौंपा है।

सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से ईओडब्ल्यू चीफ जीपी सिंह को लिखे गए पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि प्रभाव के दम पर की गई इस अनियमित नियुक्ति से शासन को आर्थिक क्षति हुई है।

गौरतलब है कि कांग्रेस प्रवक्ता विकास तिवारी ने अप्रैल 2019 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से की गई अपनी शिकायत में जोगेश्वरी बिसेन की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की थी। इस शिकायत के आधार पर राज्य शासन ने आवास एवं पर्यावरण विभाग को जांच कराने का जिम्मा सौंपा था।

विभाग की विशेष सचिव ने चार बिंदुओं पर जांच कर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी, जिसमें जागेश्वरी बिसेन की नियुक्ति में अनियमितता पाई गई थी। आवास एवं पर्यावरण विभाग ने 16 अप्रैल 2019 को अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद 6 मई 2019 और 30 दिसंबर 2019 को अतिरिक्त जानकारी शासन को भेजी थी।

जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि अनियमित नियुक्ति के लिए तय शर्तों को नजरअंदाज कर भर्ती की गई थी। साक्षात्कार लिए जाने संबंधी किसी तरह की नोटशीट जांच के दौरान विभाग को नहीं मिले थे।

आवास एवं पर्यावरण विभाग की जांच रिपोर्ट में यह बताया गया है कि स्मार्ट सिटी परियोजना के सुचारू संचालन के लिए आईटी कंसलटेंट महसूस होने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट सपोर्ट सर्विसेज के साथ अनुंबधित सलाहकार मेसर्स ली एसोसिएट से सीवी मांगी गई थी।

मेसर्स ली एसोसिएट ने आईटी कंसलटेंट पद के लिए एमसीए या बीई, बीटेक (कम्प्यूटर) के साथ-साथ पांच से सात साल का अनुभव होने की योग्यता तय की थी, लेकिन इसे नजरअंदाज करते हुए अनुबंधिक सलाहकार ने जागेश्वरी बिसेन का सीवी प्राधिकरण की मंजूरी के लिए भेज दिया, जिस पर सहमति दे दी गई, जबकि जांच में प्रस्तुत किए गए प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं होना पाया गया है।

यही नहीं, प्रोफेशनल इंस्टीटयूट ऑफ इंजीयरिंग एंड टेक्नालॉजी में प्रोफेसर कम्प्यूटर सांइस के पद पर तीन वर्ष सात माह 18 दिन और कंसोल इंडिया कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड में साफ्टवेयर डेवलपर इन नेट टेक्नालॉजी पद पर एक वर्ष तीन माह का अनुभव पाया गया, जो कुल 4 वर्ष 10 माह 18 दिन का रहा, जबकि नियुक्ति के लिए 5 से 7 वर्ष का अनुभव मांगा गया था।

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