मिशन में चल रहा है कमिशन का खेल, अधिकारी व सप्लायर हो रहे मालामाल

विभाग में 25 करोड़ के वारा-न्यारा करने का मामला सामने आया

किसानों को केंचुए खाद बनाने के नाम पर ठगा जा रहा है

रायपुर। कृषि विभाग के अंतर्गत आने वाले उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में इन दिनों घोटालों का खेल चल रहा है। किसानों को वर्मी बेड सप्लाई करने के नाम पर करोड़ों का घोटाला सामने आया है। मिशन के अधिकारी व उनके पसंदीदा सप्लायर मिलकर खूब मालामाल हो रहे हैं। यानी उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में धड़ल्ले से कमिशन का खेल चल रहा है। मिशन में किसानों को केंचुआ खाद बनाने के लिए वर्मी बेड सप्लाई करने के नाम पर करीब 25 करोड़ रुपए का वारा-न्यारा करने का मामला उजागर हुआ है।

इसमें खास बात यह है कि मिशन के अधिकारी कमिशन के लिए अपने पसंदीदा सप्लायर को ही किसानों को वर्मी बेड सप्लाई करने का जिम्मा दे रखा है। वहीं सप्लायर किसानों को बेहद घटिया वर्मी बेड सप्लाई कर रहे हैं, जिसमें केंचुआ खाद का निर्माण ही नहीं हो सकता।

असली ‘खेल’ वर्मी बेड के सप्लाई में हो रहा

वर्मी बेड, के लिए इमेज नतीजे

मिशन में असली खेल वर्मी बेड सप्लाई में हो रहा है। इसमें राष्ट्रीय उद्यानिकी मिशन के तहत किसानों को केंचुआ खाद बनाने के लिए वर्मी बेड प्रदान किया जाता है। एक वर्मी बेड की कीमत 16 हजार रुपए होती है। इस बेड का आधा खर्चा यानी 8 हजार रुपए मिशन द्वारा वहन किया जाता है तो आधा खर्च 8 रुपए किसानों को अदा करना होता है।

यहां मिशन के अधिकारी के पसंदीदा सप्लायर दो से ढाई हजार कीमत के बेहद घटिया वर्मी बेड किसानों को सप्लाई कर रहे हैं और उसकी कीमत 16 हजार बता रहे हैं। इस तरह मिशन के अधिकारी सप्लायर के साथ मिलकर करोड़ों का चूना लगा रहे हैं।

इसमें यह भी उजागर हुआ है कि मिशन के नए संचालक ने किसानों से अंश राशि न लेकर घटिया किस्म का वर्मी बेड वितरित कर दिया है। किसानों को जो वर्मी बेड बांटा गया है, उसमें केंचुआ खाद का निर्माण ही नहीं हो रहा है। बाजार में जिस वर्मी बेड की कीमत दो से ढाई हजार रुपए हैं, उसे प्रति किसान 16 हजार रुपए के मान से वितरित किया गया है। एक अनुमान है कि अब तक 25 करोड़ रुपए का वर्मी बेड बांटा जा चुका है।

मिशन के कामकाज पर पहले भी उठते रहे हैं सवाल

वर्मी बेड, के लिए इमेज नतीजे

उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन के कामकाज पर भाजपा के शासन काल में सवाल उठते रहे हैं। मिशन के अधिकारियों की भर्राशाही से किसान व ईमानदार सप्लायर परेशान होते रहे हैं। मिशन अधिकारी कमिशन का खेल करने के लिए हमेशा से ही अपने पसंदीदा सप्लायर को मिशन में किसानों से संबंधित सामानों के सप्लाई का काम देते रहे हैं। इससे हताश होकर कई सप्लायरों ने इसकी शिकायत कृषि मंत्री से भी कर चुके हैं।

फिर भी मिशन के कामकाज में कोई सुधार नहीं हुआ है। अब आलम यह है कि ईमानदार सप्लायर उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में किसी भी तरह की सप्लाई करने से दूरी बना लिया है। अब वहां सिर्फ मिशन के अधिकारी के पसंदीदा सप्लायर ही सप्लाई करते हैं और वह भी घटिया किस्म के सामानों की सप्लाई कर करोड़ों का खेल करते हैं। इस तरह उद्यानिकी और बागवानी मिशन में कमीशन कल्चर धड़ल्ले से चल रहा है।

ईमानदार सप्लायरों का काम करना मुश्किल

कृषि के क्षेत्र में सामानों का वितरण करने वाले कई सप्लायर कार्यरत हैं। नाम न छापने की शर्त में सप्लायरों ने बताया कि उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में कमीशनबाजी के चलते अब काम करना बेहद कठिन हो गया है। बात-बात पर पैसों की मांग की जाती है। कोई भी सप्लायर दो पैसे कमाना चाहता है, लेकिन वे घटिया सामाग्री का वितरण कर अपनी फर्म का नाम बदनाम नहीं करना चाहते।

सप्लायरों कहना है कि दाल में नमक वाली बात तो समझ में आती है, लेकिन नमक में दाल वाली परम्परा के चलते प्रदेश के अच्छे सप्लायरों ने अपना कामकाज समेट लिया है। अब उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन में वहीं सप्लायर काम कर रहे हैं जो घटिया बीज-कंद या अन्य सामान का वितरण करने के खेल में माहिर है।

एक किसान ने खोली मिशन की पोल

अभी हाल ही में भांठागांव के एक किसान गोपी यादव ने कृषि उत्पादन आयुक्त को उद्यानिकी और बागवानी मिशन में चल रही कमीशनखोरी और गड़बडिय़ों को लेकर शिकायत भेजी है।

शिकायत करने वाले ने मिशन के नए संचालक को जमकर आड़े हाथों लिया है। शिकायतकर्ता का कहना है कि नए संचालक जब से तैनात हुए हैं तब से हर मामले में कमीशन का खुला खेल चल रहा है।

इससे पहले भी मिशन में हुए हैं कई घोटाले

वर्मी बेड घोटाले से पहले भी मिशन में कई घोटाले सामने आ चुके हैं। मिशन के अधिकारी कमीशन के खेल में इतने माहिर हो चुके हैं कि बिना किसी झिझक व डर के घोटालों को अंजाम देते हैं। इससे पहले मिशन में आलू बीज घोटाला, फूल व सब्जी बीज घोटाला सामने आ चुका है।

उद्यानिकी एवं बागवानी मिशन आलू की खेती को बढ़ावा देने के लिए आलू के बीज का भी वितरण करता है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इस बार आलू बीज का वितरण तब किया गया जब बोनी के लिए समय निकल गया। कई किसानों के खेत में आलू सड़ गया। जो बीज वितरित किया गया उसकी गुणवत्ता भी बेहद घटिया थीं जिसके चलते कई किसानों ने उसे अपने खेत में बोने से इंकार कर दिया।

इसी तरह मिशन द्वारा फूलों की खेती को बढ़ावा देने का काम भी किया जाता है। इस वित्तीय वर्ष में ग्लेडियोलस रजनीगंधा गेंदे के फूल कंद-बीज बोनी का समय निकल जाने के बाद बांटा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि सप्लायर को फायदा पहुंचाया जा सकें। इस तरह सब्जियों का जो बीज वितरित किया उसमें अंकुरण की स्थिति ही नहीं बन पाई।

भिंडी और मिर्ची की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा, क्योंकि उन्हें उनके खेतों में उत्पादन हीं नहीं हुआ। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उद्यानिकी मिशन ने जिन जगहों पर पाली और नेट हाउस का निर्माण किया है, उसकी गुणवत्ता भी बेहद घटिया है। पाली नेट हाउस तेज हवा चलने में फट जाता है।

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