एक साल के भीतर तीन वन भैंसे की गई जान

गरियाबंद। जिले के उदंती अभ्यारण में पहले जुगाडू, फ़िर श्यामू अब वंश वृद्धि करने वाली आशा की मौत हो गई। एक साल के भीतर तीन राजकीय पशु की मौत से अभ्यारण्य प्रशासन में हड़कंप मचा गया है।

बीती रात को अभ्यारण्य के रेस्क्यू सेंटर में आशा नामक मादा वनभैंसा की मौत हो गई है। तार से घिरे बाड़ा के मुख्य द्वार से लगभग 200 मीटर भीतर जंगल में ट्रेकरों ने आशा को मृत पाकर इसकी सूचना अफसरों को दिया है।

डब्ल्यूटीआई से नियुक्त चिकित्सक आरपी मिश्रा ने इस मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि आशा उम्र दराज होने के कारण लंबे समय से बिमारी से ग्रसित थी। बीमारी का उपयुक्त इलाज भी जारी था। सूचना के बाद रायपुर से अभयारण प्रशासन के आला अफसर भी यहां पहुंचने वाले हैं।

वहीं एक अन्य वन भैंसा प्रिंस भी बीमार चल रहा है। उसके आंखों में तकलीफ है, जिसका इलाज जारी है। आशा ने अब 7 नर वन भैंसों को जन्म दिया है। इसके अधिकतर संतान वन भैसा के रुप में विधमान है। मादा वन भैसा की मौत को लेकर वन विभाग चिंतित है।

बता दें कि पिछले 10 माह के भीतर यह तीसरी मौत है। जुगाडू और श्यामू के बाद आशा की मौत ने राजकीय पशु की संख्या बढ़ाने चलाये जा रहे अभियान व उसमें फूंके जा रहे करोड़ों रुपए के खर्च पर सवाल खड़ा कर दिया है। साल भर पहले तक आशा ही एक मात्र मादा वन भैस थी, जिससे वंश वृद्धि के तरह तरह के प्रयोग किये जा रहे थे।

हालांकि अभी आशा की चौथी संतान खुशी भी है, जो अभियान को आगे बढ़ाने में सहायक होगी। इसके अलावा आशा के क्लोन से तैयार बिपाशा भी है, जो हरियाणा के करनाल में मौजूद है।

 

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