न्यूयार्क/रायपुर। अमेरिका में बसे छत्तीसगढ़ियों का संगठन नाचा की तीसरी वर्षगांठ के मौके पर वहां मौजूद छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ी नृत्य प्रस्तुति देखकर भाव विभोर हो गए। इस मौके पर ‘छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया’ की गूंज से सीएम बघेल गदगद हो गए।

कार्यक्रम में सीएम बघेल ने कहा कि उन्हें यह अहसास नहीं हो रहा है कि इस समय वे प्रदेश से सात समंदर पार अमेरिका में है, बल्कि ऐसा लग रहा है कि वे छत्तीसगढ़ में किसी समारोह में मौजूद हैं।

सीएम बघेल नाचा के इस वार्षिक आयोजन में वह बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। अपनी संस्कृति को विदेश में भी किस तरह संजोए रखना है, यह छत्तीसगढ़ियों से सीखना चाहिए। इन्होंने अमेरिका में भी अपनी संस्कृति और परम्पराओं को जिंदा रखा है।

अमेरिका में रहने वाले छत्तीगसढ़ मूल के लोगों ने नाचा (नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन) संस्था का गठन किया है। 17 फरवरी को नाचा के गठन की तीसरी वर्षगांठ थी। इसे खास बनाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके टीम के स्वागत में नाचा संस्था के लोगों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की रंगारंग प्रस्तुति दी। अपने पारंपरिक वेशभूषा और छत्तीसगढ़ी गीत में नृत्य कर समा बांधे रखा। वहां मौजूद सभी लोगों ने इस पारंपरिक नृत्य का आंनद लिया और जमकर तालियां भी बजाई।

इस तरह अमेरिका में छत्तीसगढ़ी रंग देखने को मिला। यह कहना गलत नहीं होगा कि अमेरिका में ‘नाचा’ ने “छोटा छत्तीसगढ़” बसा रखा है।

यह कार्यक्रम निश्चित रूप से नाचा और छत्तीसगढ़ शासन के मध्य एक सुदृढ़ सहभागिता स्थापित करने में नींव की पत्थर साबित होगी। नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ की कला, विरासत और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसरित और स्थापित करने की प्रेरक भी बनेगी। इस कार्यक्रम को लेकर अत्यंत उत्साह देखने को मिला।

पूरे अमेरिका में विभिन्न प्रांतों से लोग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और चरण दास महंत का स्वागत किया। यह कार्यक्रम नाचा के मूल उद्देश्यों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्थापित कर दुनिया के अन्य देशों तक छत्तीसगढ़ की संस्कृति को प्रसारित करने में अहम भूमिका निभाएगी।

क्या है नाचा

नाचा यानी नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन अमेरिका में रहने वाले छत्तीसगढ़ी लोगों की एक संगठन है। अपने सांस्कृतिक जुड़ाव के लिए नाचा संस्था का गठन तीन साल पहले किया गया था। नाचा संस्था पंथी, सुआ, राउत, ददरिया नृत्य हो या खोखो, पिठूल, डंडा-पिचरंगा जैसे खेल खेलकर विदेशी नागरिकों को छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं से रूबरू करा रहे हैं।

सात समुंदर पार विदेशी धरती पर जहां अपने प्रदेश की लोक संस्कृति का जलवा बिखेर रहे हैं। अमेरिका में भी छोटा छत्तीसगढ़ बना कर रखा है।

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