टीआरपी डेस्क। प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (सीएमएस) ने भारतीय पक्षियों पर एक रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। इसके अनुसार 867 तरह के भारतीय पक्षियों का अध्ययन किया गया है। इनमें 261 के बारे में लंबे समय तक आंकड़े एकत्र करना संभव हो सका है। इसे पता चला है की देश में 52 प्रतिशत पक्षियों की संख्या लंबे समय से घट रही है जिससे धीरे-धीरे उनके विलुप्त होने की आशंका पैदा हो गई है। शेष 48 प्रतिशत में पांच प्रतिशत पक्षियों की संख्या बढ़ी है जबकि 43 प्रतिशत की संख्या लगभग स्थिर है।

मोर की संख्या में बढ़ोतरी :

 

पांच प्रतिशत बड़ रही पक्षियों की संख्या में राहत है,मोर की संख्या में बढ़ोतरी पाई गई और 25 साल से ज्यादा की अवधि में गौरैया की संख्या करीब-करीब स्थिर है। गिद्ध के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि उनकी संख्या पहले घट रही थी, लेकिन अब यह बढऩे लगी है। लंबी अवधि में जिन पक्षियों की संख्या सबसे तेजी से घट रही है, उनमें पीले पेट वाली कठफोडवा, कॉमन वुडश्रीक, छोटे पंजों वाली स्नेक ईगल, कपास चैती, बड़ी कोयल, सामान्य ग्रीनशैंक आदि शामिल हैं।

तेजी से घट रही है पचास प्रतिशत की आबादी :

भारतीय पक्षियों की जिन 146 प्रजातियों के बारे में हालिया अध्ययन सामने आया है उनमें 80 फीसदी की संख्या घटी है, पचास प्रतिशत की आबादी तेजी से घट रही है जबकि 30 प्रतिशत की संख्या घटने की रफतार कुछ धीमी है। शेष में छह प्रतिशत की आबादी स्थिर है जबकि 14 फीसदी की आबादी बढ़ रही है। छह पक्षियों को छोड़कर सभी के बारे में उनके आवास क्षेत्र के आंकड़े उपलब्ध हैं।

इनमें 46 प्रतिशत 33 प्रतिशत प्रजातियों का रहवास क्षेत्र विस्तरित है, 46 प्रतिशत का ठीकठाक है, 21 प्रतिशत सीमित क्षेत्र में रह गए हैं। प्रारूप रिपोर्ट में 12 को बेहद असुरक्षित की श्रेणी में, 15 को असुरक्षित की श्रेणी में, 52 को संभावित खतरे वाली श्रेणी में, 52 को असुरक्षित की कगार पर और 731 को कम चिंताजनक की श्रेणी में रखा गया है।

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें 

Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।

 

Trusted by https://ethereumcode.net