टीआरपी डेस्क। उज्जैन में विराजमान महाकाल को अवंतिकाराज के रूप में सदियों से पूजा जाता आया है। स्टेट के समय तत्कालीन सिंधिया राजवंश के सदस्य महाकाल की अंवतिकानाथ के रूप में पूजा किया करते थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस परंपरा का निर्वहन जिला कलेक्टर करने लगे।
हर साल श्रावण-भादौ मास की सवारी में जिलाधिकारी भगवान महाकाल की पूजा-अर्चना कर पालकी को नगर भ्रमण के लिए रवाना करते हैं। मंदिर के मुख्यद्वार पर मध्यप्रदेश पुलिस की सशस्त्र बल की टुकड़ी राजाधिराज को सलामी देती है। हर साल श्रावण-भादौ और कार्तिक-अगहन मास में उज्जयिनी के राजा महाकाल प्रजा का हाल जानने के लिए चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकलते हैं। सवारी का स्वरूप भी राजा-महाराजाओं के लाव-लश्कर की तरह होता है।
महाशिवरात्रि पर भी कलेक्टर करेंगे पूजा :
महाशिवरात्रि पर भगवान महाकाल के शासकीय पूजन की परंपरा है। इस बार भी 21 फरवरी को दोपहर 12 बजे शासन की ओर से डीएम महाकाल की पूजा अर्चना करेंगे। शाम 4 बजे सिंधिया व होलकर राजवंश की ओर से भगवान की पूजा अर्चना की जाएगी।
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