रायपुर। विधानसभा में आज कांग्रेस विधायकों ने आदिवासियों के वनाधिक्कार पट्टा को रद्द करने और खनिज मद से नियम विरुद्ध मुआवजा प्रकरण का मुद्दा उठाया। इस पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए।

कांग्रेस विधायक देवेन्द्र यादव ने राजस्व मंत्री से पूछा कि आदिवासियों के वनाधिकार पट्टा क्यों रद्द किया गया? कितने आदिवासियों का जमीन अधिग्रहण किया गया था ? कितने आदिवासियों को मुआवजा अब तक दिया गया? मुआवाजा खनिज मद से क्यों दिया गया ? क्या खनिज मद से मुआवजा दिया जा सकता है?

इसके बाद कांग्रेस विधायक मोहन मरकाम सहित सत्ता पक्ष के अन्य विधायक और जनता कांग्रेस विधायक अजीत जोगी ने भी इस मुद्दे पर राजस्व मंत्री को घेरा। मोहन मरकाम ने कहा कि दंतेवाड़ा के गीदम स्थित जवांगा एजुकेशन सेंटर के लिए जिन आदिवासियों का वनाधिकार पट्टा रद्द किया गया। जिनकी जमीनें ली गई उन्हें अब तक उचित मुआवाजा नहीं मिला है।

मुआवजा प्रकरण में भी नियम विरुद्ध काम हुआ है। इस मामले में दोषी अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी ? अजीत जोगी ने भी पूछा कि क्या वनाधिकार पट्टा रद्द करने का अधिकार अधिकारियों को है, अगर है तो किस नियम के तहत है ?

सत्ता पक्ष के विधायकों की ओर से घिरने के बाद राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि खनिद मद की राशि मुआवजे की रूप में नहीं दी जा सकती। डीएमएफ से मुआवजा देने का नियम नहीं है। इस मामले की जाँच चल रही है, लेकिन कांग्रेस विधायकों की मांग पर अब इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाएगी।

वहीं इस मामले में भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा ने पूर्व सरकार में हुए इस प्रकरण में बचाव करने की कोशिश की।

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