रायपुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आज राजधानी रायपुर सड्डू स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय,शान्ति सरोवर में आयोजित नशामुक्त अभियान के शुभारंभ समारोह में शामिल होने पहुंचे। बता दें कि नशामुक्त भारत अभियान के अंतर्गत नशा मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान की शुरूआत की जाएगी।

कार्यक्रम के दौरान सीएम बघेल ने अपने संबोधन में कहा कि नशे की शुरुआत बाल्य काल या युवा अवस्था में होती है। इस उम्र में शौक से पीते हैं, अब कोई विधायक सत्यनारायण शर्मा जी की उम्र में जाके कोई नशे की शुरुआत नहीं करते हैं।

सीएम ने कहा कि शराबबंदी के लिए महिलाएं तत्काल तैयार हो जाती थी। विधानसभा चुनाव के पहले महिलाओं का बड़ा का दबाव था। इसलिए हमने घोषणा की। शराबबंदी का मतलब नधा मुक्त होना चाहिए। अभी भी कुछ लोग कहते हैं शराबबंदी हो, हमने कमेटी गठन किया है, कई राज्यों में अध्ययन भी किये, लेकिन नशा मुक्ति करना सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है, सरकार तो हम सबसे मिलकर बनती है। प्रदेश का मुखिया होने के नाते मैं अभी आदेश कर सकता हूं कि शराब की दुकानें बंद हो। पर क्या इससे समस्या का हल निकल जायेगा?

भूपेश बघेल ने कहा कि लॉकडाउन में जब सब एक साथ घर में रहने लगे तो घरेलू हिंसा की शिकायत आने लगी। लंबे समय तक लॉकडाउन होने के बावजूद लोग नशा का जुगाड़ कर लेते थे। वनांचल में जाकर महुआ शराब जुगाड़ लेते थे, कई लोग गुड़ का शराब बना लेते थे। हरियाणा से तक यहां शराब आने लगी। कुछ नहीं मिला तो आदमी सेनिटाइजर पीने लगा। बिलासपुर में स्पिरिट पीके कई लोग मरे।

लॉकडाउन के समय पूरा देश बंद था, लेकिन फिर भी नशा करने वाले किए. जहरीली शराब पीकर कई लोगो की जान गई। मेरी हिम्मत नहीं हुई कि मैं आदेश कर शराब दुकान बंद करवाऊं। कोई व्यक्ति यदि जहरीली शराब पीकर मर गया तो तो हम नहीं वापस ला सकते। इसलिए हमें नशा मुक्ति की ओर काम करना है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शराबबंदी के लिए महिलाएं दोनों हाथ उठाती थीं। लेकिन गुड़ाखु के लिए महिलाएं हाथ नहीं उठाती थी। कम खतरनाक नहीं है गुड़ाखू। नशा महिलाएं भी करती हैं। अभियान नशा मुक्ति का होना चाहिए। मानवता की सेवा, ईश्वर की भक्ति का नशा करना चाहिए। ये नशा इतना बड़ा है कि इसके सामने बचा सब नशा फीका पड़ जाता है।