टीआरपी डेस्क। पुलिस गांजे की तलाश में थी और उनके हाथ 21 किलो सोना लग गया। पुलिस को तलाशी के दौरान पहले तो संदेह हुआ कि बस में साढ़े 10 करोड़ रुपये का सोना परिवहन किया जा रहा था।

पुलिस ने जब कंडक्टर से पूछताछ की तो पता चला कि रायपुर के किसी कोरियर वाले ने उसे ये पैकेट दिए थे। कोरियर वाले से जब पुलिस ने पूछताछ कि तो पता चला कि रायपुर के सराफा कारोबारियों ने जोधपुर, कोलकाता और मुंबई भेजने के लिए बुकिंग की थी। पुलिस ने सभी सराफा कारोबारियों को तलब कर सोने से संबंधित दस्तावेज मांगे और उन्हें सोना वापस लौटाया। साथ ही पुलिस ने चेतावनी दी कि कीमती सामानों को लापरवाही के साथ परिवहन न करें। चोरी, लूट, डकैती जैसी गंभीर घटनाएं भी हो सकती हैं।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार की दोपहर एक बस के कंडक्टर ने बस में भूरे टेप से लिपटे सात पैकेट देखकर दुर्ग कोतवाली पुलिस को जानकारी दी थी। कंडक्टर को शक था कि इन भूरे पैकेट के जरिए गांजे की तस्करी की जा रही है। पुलिस को पैकेट की जांच करने में सोना निकला। जो कि राजधानी रायपुर के 30 सराफा कारोबारियों का था। सोने के जेवर बनवाने के लिए कारोबारी हमेशा ही कोरियर के माध्यम से कोलकाता, जोधपुर और मुंबई के कारीगरों के पास भेजते हैं।

कारीगर सेने के जेवर बनाकर वापस भेज देते हैं। सराफा कारोबारियों ने जिस कोरियर से सोना भेजने की बुकिंग की थी। उस कोरियर वाले ने पैकेट को भूरे रंग के टेप से लपेट दिया था। ताकि उसे कोई खोल न सके, लेकिन भूरे रंग के टेप के चलते ही लगा कि पैकेटों में गांजा है। पुलिस ने सभी सराफा कारोबारियों से कहा कि वे अपने कीमती सामानों का सुरक्षित तरीके से परिवहन करें। इस तरीके की लापरवाही उन्हें भारी पड़ सकती है।

एसपी दुर्ग डॉ. अभिषेक पल्लव का कहना था कि बस में मिला सोना वैध था। दस्तावेजों की जांच के बाद सराफा कारोबारियों को सोना लौटा दिया गया है। साथ ही पुलिस ने उन्हें समझाइश दी गई कि आगे से अन्य कीमती सामानों का परिवहन सुरक्षित तरीके से करेंगे।

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