इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने इसे चुनौती दी थी

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने क्रिप्टोकरंसी में ट्रेडिंग की इजाजत दे दी है। अदालत ने बुधवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) का दो साल पुराना सर्कुलर खारिज कर दिया। आरबीआई ने 6 अप्रैल 2018 को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देन पर रोक लगाई थी। उसने सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिए थे कि क्रिप्टोकरेंसी में डील नहीं करें और इसके लेन-देन के लिए कोई प्लेटफॉर्म उपलब्ध नहीं करवाएं।

इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजेज की ओर से आरबीआई के सर्कुलर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। आईएएमएआई की दलील थी कि देश में ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लागू होता हो।

ऐसे में आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े ट्रांजैक्शन के लिए बैंकिंग चैनल के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगा सकता। आरबीआई का कहना था कि वह 2013 से ही क्रिप्टोकरेंसी के खतरों के बारे में लोगों को बता रहा था। इस पर शुरुआत में ही रोक लगनी चाहिए ताकि, देश के पेमेंट सिस्टम पर कोई जोखिम नहीं आए। रिजर्व बैंक ने ये भी कहा था कि उसके पास क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने का अधिकार है।

क्रिप्टोकरंसी क्या है?

क्रिप्टोकरेंसी डिजिटल करेंसी होती है। इसे रेग्युलेट करने के लिए एनक्रिप्शन तकनीक इस्तेमाल की जाती है। दुनिया की कई रेग्युलेटरी संस्थाएं प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन में ट्रेडिंग के खिलाफ चेतावनी दे चुकी हैं, जबकि कुछ देश इसके समर्थन में हैं। 2017 में जापान ने बिटकॉइन को वैध करंसी का दर्जा दिया था।

बिटकॉइन में इस साल 50% तेजी

दुनिया में बिटकॉइन सबसे ज्यादा चलने वाली और वैल्यू वाली क्रिप्टोकरेंसी है। इस साल इसमें 50% तेजी आ चुकी है। अक्टूबर 2019 के बाद पहली बार बिटकॉइन पिछले दिनों 10,000 डॉलर (7.30 लाख रुपए) पर पहुंचा था। मौजूदा वैल्यू 8,793 डॉलर (6.42 लाख रुपए) है। दूसरी क्रिप्टोकरेंसी में भी इस साल तेजी बनी हुई है। इथेरियम की वैल्यू दोगुनी हो चुकी है और रिपल की एक्सआरपी में 75% तेजी आ चुकी है।

बिटकॉइन क्या है?

इस करंसी को वर्चुअल वर्ल्ड में सातोशी नाकामोतो समूह लाया था। उसने 2009 में बिटकॉइन की शुरुआत की थी। इसकी खरीद-बिक्री सिर्फ ऑनलाइन की जा सकती है। बिटकॉइन के 11 साल के इतिहास में भारी उतार-चढ़ाव आए। 2017 के आखिर में सिर्फ 35 दिन में इसकी वैल्यू साढ़े तीन गुना बढ़कर करीब 20,000 डॉलर पर पहुंच गई थी।

इसके बाद सात हफ्ते में 70% गिरावट आई थी। इतनी अस्थिरता होने की वजह से ही यह सवाल उठते रहे हैं कि इसमें ट्रेडिंग की इजाजत दी जानी चाहिए या नहीं।

 

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