श्याम वेताल

मध्य प्रदेश पर आज की तारीख तक विश्वव्यापी महामारी कोरोना का कोई असर नहीं हुआ है लेकिन, कांग्रेस पार्टी के लिए एक बड़ी व्याधि बन चुकी भाजपा ने इस राज्य की कमलनाथ सरकार को इतना क्षीण कर दिया कि वह अपनी किशोरावस्था में ही चल बसी।

वर्ष 2018 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस की सरकारें चुन कर आईं थीं। इनमें मध्य प्रदेश में ही कांग्रेस दुर्बल स्थिति में रही। दूसरे दलों सपा एवं बसपा और निर्दलीयों के सहयोग से सरकार बना सकी थी। शुरुआत से ही सरकार पर भाजपा की तक्षक-दृष्टि रही। एक-दो मौकों पर भाजपा ने फुफकार भी मारी लेकिन, जहर पहुंचे तक नहीं पहुंचा। फिर भी वह मौके की ताक में रही। लगभग 15 महीने बाद भाजपा को डसने का अवसर मिल ही गया।

दरअसल, कांग्रेस और कमलनाथ को पार्टी के बड़े एवं लोकप्रिय नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की उपेक्षा करना महंगा पड़ गया। वयोवृद्ध हो चले कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगल जोड़ी ने बाल- छवि वाले ज्योतिरादित्य के प्रभाव को कमतर आंका। हालांकि सिंधिया राहुल के करीबी रहे लेकिन राहुल अपने पिता के करीबी रहे दिग्गी-कमल की बातों में आ गए जिसका नतीजा रहा कि एक बड़ा राज्य कांग्रेस के हाथ से निकल गया। खैर, अब तो वहां भाजपा की सरकार बननी ही है। जिन 23 सिंधिया समर्थक कांग्रेसी विधायकों ने इस्तीफा देकर भाजपा की मदद की है, उनकी सीटों पर अब उपचुनाव होंगे। इन उपचुनावों में यदि कांग्रेस जादुई आंकड़े को छूने लायक सीटें जीतती है तो संभव है राज्य में फिर कांग्रेस सरकार बन जाय लेकिन, इसकी उम्मीद बहुत कम है। क्योंकि राज्य में जिसकी सरकार होती है, उपचुनाव में वही पार्टी ज्यादा फायदे में रहती है।

बहरहाल अब सवाल उठता है कि क्या मध्य प्रदेश का किला फ़तह करने के बाद भाजपा की लालची – प्रवृत्ति थम जाएगी ? जवाब स्पष्ट ना है। सरकार हड़पने वाली सारी मशीनरी अब राजस्थान का रुख करेगी। वहां की स्थिति भी कमोबेश मध्यप्रदेश जैसी ही है। सचिन पायलट नाखुश चल रहे हैं और भाजपा के लोग उन्हें खुश करने में लगे हैं। देखना है, वहां ऊंट कब ‘ इस ‘ करवट बैठता है।

अब छत्तीसगढ़ पर नज़र डालें। हम आप तो डाल सकते हैं लेकिन भाजपा की हिम्मत नहीं है कि इधर नज़र डाल सके। कारण साफ है। अपने से चौगुने ताकतवर दुश्मन की ओर नज़र डालने या नज़र मिलाने की हिमाक़त प्रदेश भाजपा तो नहीं कर सकती लेकिन, क्या मालूम भाजपा के बड़ों की तिरछी नज़र इधर भी हो और राजस्थान काण्ड के बाद यहां कोई अरण्य काण्ड कर बैठे। यहां कोई हरकत करने के लिए भाजपा के पास कोई शिवराज भी तो नहीं है, जो है और जो कुछ कर सकता है वह बड़ों की गुड लिस्ट में नहीं है। लिहाज़ा, छत्तीसगढ़ के बारे में भाजपा दूर-दूर तक कुछ सोंच नहीं सकती।

TRP के लिए विशेष आलेख

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