टीआरपी न्यूज। कुष्ठ के इलाज के लिए एम्स दिल्ली के प्रोफेसर द्वारा 1966 में ईजाद हुई एक दवा का कोरोना वायरस के इलाज के लिए ट्रायल किया जाएगा। एम्स भोपाल दुनिया का पहला संस्थान होगा जहां कोराना के इलाज के लिए इस दवा का ट्रायल होने जा रहा है। यह दवा इम्यूनोमाड्युलेटर यानी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली है। इंजेक्शन के रूप में इस दवा का ट्रायल अलग-अलग श्रेणी के कोरोना पॉजिटिव मरीजों में किया जाएगा। 20 जुलाई तक ट्रायल का पहला चरण पूरा हो जाएगा।

हफ्ते भर में ट्रायल शुरू
एम्स के डॉयरेक्टर प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह ने बताया कि हफ्ते भर में ट्रायल शुरू हो जाएगा। यूूनाइटेड स्टेट फूड एवं ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (यूएस एफडीए) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने ट्रायल को मंजूरी दे दी है। मरीजों की सहमति लेकर हफ्ते भर के भीतर ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।
माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू का ट्रायल
कई जगह कैंसर व टीबी के इलाज के लिए भी इसका ट्रायल हो चुका है। हालांकि, बहुत कारगर नतीजे नहीं रहे हैं। इस दवा का नाम माइकोबैक्टीरियम डब्ल्यू (एमडब्ल्यू) जो प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करती है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडिस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) रिसर्च के लिए फंड दे रही है।
इस तरह होगा ट्रायल
डॉयरेक्टर डॉ. सरमन सिंह ने बताया कि तीन श्रेणी में लगभग 50-50 मरीजों को ट्रायल के लिए लिया जाएगा। 50 गंभीर श्रेणी के मरीज होंगे। 50 ऐसे मरीज होंगे जो सामान्य हैं और 50 ऐसे लोगों को लिया जाएगा जो पॉजिटिव नहीं है, इसमें पॉजिटिव के संपर्क में आने वाले या स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया जा सकता है। मरीजों को दवा देने के बाद यह देखा जाएगा कि अन्य मरीज जो उस उम्र वर्ग गंभीरता वाले हैं उनकी तुलना में कितना सुधार आया है।
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