नए नियम के मुताबिक, पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की कंपनियां या इंडिविजुअल भारत में सरकारी रास्ते से ही निवेश कर पाएंगे

नई दिल्ली। कोरोना महामारी संकट के बीच केंद्र सरकार ने अवसरवादी अधिग्रहण पर अंकुश लगाने के लिए मौजूदा एफडीआई नियम में बदलाव किया है। इसके तहत जिन देशों की सीमा भारत से लगती है, वहां के निवेशक सरकारी अनुमति के बिना यहां निवेश नहीं कर सकते हैं।

मतलब चीन, बांग्लादेश और पाकिस्तान के निवेशकों या कंपनियों को भारत में निवेश की अनुमति के लिए सरकार से परमिशन की जरूरत होगी। यह जानकारी डीपीआईआईटी ने दी है। सरकार के इस फैसले का असर अभी चीन के निवेशकों पर होगा। वर्तमान में केवल बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले एफडीआई के लिए सरकार के परमिशन की जरूरत होती थी।

दरअसल पिछले दिनों चाइनीज सेंट्रल बैंक ने एचडीएफसी के करोड़ों शेयर खरीदे थे जिससे उसकी हिस्सेदारी कंपनी में 1 फीसदी को पार कर गई। उस समय ऐसी रिपोर्ट आई थी कि चीन पूरी दुनिया में अपना निवेश तेजी से बढ़ा रहा है।

कोरोना के कारण पूरी दुनिया का शेयर मार्केट क्रैश कर गया है और शेयर के भाव में भारी गिरावट आई है। चीन इसे अपने लिए अवसर के रूप में देख रहा है और तेजी से निवेश बढ़ा रहा है।

पाकिस्तानी निवेशकों पर सीधा असर

डीपीआईआईटी के प्रेस नोट के मुताबिक, अगर किसी देश की सीमा भारतीय सीमा से लगती है तो वहां का कोई एंटिटी चाहे वह कंपनी हो या इंडिविजुअल, केवल सरकारी रास्ते से भारत में निवेश कर सकता है। प्रेस नोट में यह भी कहा गया है कि बांग्लादेशी और पाकिस्तानी नागरिक और कंपनी केवल सरकारी रास्ते से भारत में निवेश कर सकता है। इन्हें डिफेंस, स्पेस, एटॉमिक एनर्जी जैसे सेक्टर्स में निवेश की अनुमति नहीं है।

भारतीय टेक इकोसिस्टम को सुरक्षित रखने का सही समय

नानजिया एंडरसन एलएलपी के डायरेक्टर संदीप झुनझुनवाला ने कहा कि चीन के टेक इन्वेस्टर्स ने भारतीय स्टार्टअप्स में करीब 4 अरब डॉलर का निवेश किया है। भारत में 30 में 18 स्टार्टअप्स को चीन से फंड मिलता है। जिस रफ्तार से वह निवेश बढ़ा रहे हैं, ऐसे में भारतीय टेक इकोसिस्टम को बचाए रखने के लिए सरकार का यह फैसला सही है।

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