टीआरपी डेस्क। बुध पूर्णिमा को म‍हात्‍मा गौतम बुद्ध के जन्‍म दिवस, ज्ञान प्राप्ति और मृत्‍यु दिवस तीनों के रूप में मनाया जाता है। इतिहास को खंगालने से पता लगता है जिस दिन महात्‍मा बुद्ध को बोधिगया में पीपल के पेड़ के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी, उस दिन बैसाख मास की पूर्णिमा थी। चूंकि महात्‍मा बुध को भगवान विष्‍णु का 10वां अवतार भी माना जाता था, इसलिए इस दिन का हिंदुओं के बीच भी विशेष धार्मिक महत्‍व है। भगवान बुद्ध ने भारत की इस संस्कृति को और समृद्ध किया है। वो अपना दीपक स्वयं बनें और अपनी जीवन यात्रा से, दूसरों के जीवन को भी प्रकाशित कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर एक कार्यक्रम में वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिए लोगों को संबोधित करते हुए कि भगवान बुद्ध का वचन है- मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानि, धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है, सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है। बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं। आज भी उनकी सीख हमारे जीवन में निरंतर प्रवाह में रहा है। ऐसे समय में जब दुनिया में कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से उथल-पुथल है, कई बार दुख, निराशा, हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती।

पीएम मोदी ने कहा, ‘आप सभी को और विश्वभर में फैले भगवान बुद्ध के अनुयायियों को बुद्ध पूर्णिमा की, वेसाक उत्सव की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भगवान बुद्ध का वचन है-मनो पुब्बं-गमा धम्मा, मनोसेट्ठा मनोमया, यानि, धम्म मन से ही होता है, मन ही प्रधान है, सारी प्रवृत्तियों का अगुवा है। आपके बीच आना बहुत खुशी की बात होती, लेकिन अभी हालात ऐसे नहीं हैं। इसलिए, दूर से ही, टेक्नोलॉजी के माध्यम से आपने मुझे अपनी बात रखने का अवसर दिया, इसका मुझे संतोष है। लुम्बिनी, बोधगया, सारनाथ और कुशीनगर के अलावा श्रीलंका के अनुराधापुर स्तूप और वास्कडुवा मंदिर में हो रहे समारोहों का इस तरह एकीकरण, बहुत ही सुंदर है। हर जगह हो रहे पूजा कार्यक्रमों का ऑनलाइन प्रसारण होना अपने आप में अद्भुत अनुभव है।’

उन्‍होंने कहा, ‘बुद्ध किसी एक परिस्थिति तक सीमित नहीं हैं, किसी एक प्रसंग तक सीमित नहीं हैं। सिद्धार्थ के जन्म, सिद्धार्थ के गौतम होने से पहले और उसके बाद, इतनी शताब्दियों में समय का चक्र अनेक स्थितियों, परिस्थितियों को समेटते हुए निरंतर चल रहा है समय बदला, स्थिति बदली, समाज की व्यवस्थाएं बदलीं, लेकिन भगवान बुद्ध का संदेश हमारे जीवन में निरंतर प्रवाहमान रहा है। ये सिर्फ इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि, बुद्ध सिर्फ एक नाम नहीं है, बल्कि एक पवित्र विचार भी है।

Buddha Purnima 2020: बेहद खास है बुद्ध पूर्णिमा, जानिए इस‍ दिन क्‍या करें और क्‍या नहीं

मोदी ने कहा कि बुद्ध, त्याग और तपस्या की सीमा है। बुद्ध, सेवा और समर्पण का पर्याय है। बुद्ध, मज़बूत इच्छाशक्ति से सामाजिक परिवर्तन की पराकाष्ठा है। ऐसे समय में जब दुनिया में उथल-पुथल है, कई बार दुख, निराशा, हताशा का भाव बहुत ज्यादा दिखता है, तब भगवान बुद्ध की सीख और भी प्रासंगिक हो जाती। वो कहते थे कि मानव को निरंतर ये प्रयास करना चाहिए कि वो कठिन स्थितियों पर विजय प्राप्त करे, उनसे बाहर निकले। थक कर रुक जाना, कोई विकल्प नहीं होता। आज हम सब भी एक कठिन परिस्थिति से निकलने के लिए, निरंतर जुटे हुए हैं, साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि भगवान बुद्ध के बताए 4 सत्य यानि दया, करुणा, सुख-दुख के प्रति समभाव और जो जैसा है उसको उसी रूप में स्वीकारना, ये सत्य निरंतर भारत भूमि की प्रेरणा बने हुए हैं। आज आप भी देख रहे हैं कि भारत निस्वार्थ भाव से, बिना किसी भेद के, अपने यहां भी और पूरे विश्व में, कहीं भी संकट में घिरे व्यक्ति के साथ पूरी मज़बूती से खड़ा है। भारत आज प्रत्येक भारतवासी का जीवन बचाने के लिए हर संभव प्रयास तो कर ही रहा है, अपने वैश्विक दायित्वों का भी उतनी ही गंभीरता से पालन कर रहा है।

Chhattisgarh से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें 

Facebook पर Like करें, Twitter पर Follow करें  और Youtube  पर हमें subscribe करें।

 

Trusted by https://ethereumcode.net