रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव आरपी मंडल ने आबकारी विभाग में मैनपॉवर टेंडर में भारी अनियमितता की शिकायत को बड़ी गंभीरता से लेते हुए उचित कार्यवाही के दिशा-निर्देश दिए हैं। मुख्य सचिव ने मामले में मिली शिकायत को संज्ञान में लेकर आबकारी विभाग से सवाल-जवाब भी किया है।

बता दें कि बीते 21 मई को आबकारी विभाग में मैनपॉवर टेंडर में व्याप्त भारी अनियमितता को लेकर 3 प्रमुख बिंदुओं पर राज्य के मुख्य सचिव आरपी मंडल का ध्यान आकृष्ट कराया गया था. इस शिकायत पर मुख्य सचिव ने संज्ञान लेकर विभाग से जवाब मांगा है. शिकायत में बताया गया है कि आबकारी विभाग में मैनपॉवर आउटसोर्सिंग कंसल्टेंसी का है। विभाग को आउटसोर्सिंग के माध्यम से 8 पदों पर भर्ती करनी थी, जिसके लिए बाकायदा टेंडर भी निकाला गया। लेकिन इस बार विभाग की ओर से निकाला गया टेंडर काफी अनोखा था।

8 आदमी की भर्ती के लिए इस टेंडर में रोचक नियम बना दिए गए। इन नियमों में 8 मैनपॉवर के लिए 1000 मैनपॉवर का अनुभव मांगा गया। 8 मैनपॉवर की सालाना सैलरी 40 लाख होती है,लेकिन इसके लिए प्रदायकर्ता कंसल्टेंसी फर्म को 50 करोड़ टर्नओवर का टेंडर मांगा गया। इसके अलावा टेंडर फार्म खरीदने की कीमत 20 हजार रखी गयी।

विभाग के इन मनचाहे नियमों से साफ प्रतीत होता है कि किसी व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने ये सारा खेल रचा गया है, ताकि पसंदीदा और चहेते फर्म को काम मिल सके। इस अनियमितता के खेल पर राज्य के मुख्य सचिव के संज्ञान और सवाल-जवाब के बाद विभाग के पसीने छूटने लगे हैं।

मामले में मुख्य सचिव को प्रतिवेदन भेज दिया गया है। टेंडर में कोई अनियमितता नहीं है।

अरुण त्रिपाठी
एमडी, आबकारी विभाग