रायपुर। छत्तीसगढ़ भाजपा में संगठन चुनाव को लेकर लंबे समय से बना हुआ सस्पेंस आखिरकार आज खत्म हो गया। भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय को छत्तीसगढ़ बीजेपी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर अपनी मुहर लगा दी।
बता दें कि विष्णुदेव साय इससे पहले भी दो बार प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं। यह उनका तीसरा कार्यकाल होगा। इससे पहले 2006 से 2009 और फिर 2013 तक पार्टी की कमान उनके हाथ में रही। 1999 से 2014 तक रायगढ़ से सांसद रहे। मोदी-1.0 में केंद्र में मंत्री बनाए जाने के बाद उन्होंने संगठन पद से इस्तीफा दे दिया था। साय को संगठन के साथ ही आरएसएस का भी करीबी माना जाता है।
चुनौती भरी होगी तीसरी पारी
भाजपा का मानना है कि प्रदेश सरगुजा, बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य वाली विधानसभा और लोकसभा सीटों को विष्णुदेव साय का चेहरा पार्टी को लाभ दिला सकता है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी किसी आदिवासी नेता को भी सौंपे जाने की संभावनाएं शुरू से ज्यादा थीं। इसके पीछे तर्क यह है कि नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी ओबीसी वर्ग को दी गई है। वहीं, कांग्रेस ने प्रदेश संगठन की जिम्मेदारी एसटी को सौंपी है। राज्य में अब तक ज्यादातर ऐसा ही होता आया है कि दोनों दलों का नेतृत्व एक ही वर्ग के पास रहा है। इससे पहले दोनों दलों की कमान ओबीसी के पास थी।
बता दें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के लिए चार नाम प्रमुख थे। इनमें ओबीसी से उनमें पूर्व मंत्री एवं विधायक अजय चंद्राकर और सासंद विजय बघेल और पूर्व केंद्रीय मंत्री विष्णुदेव साय के साथ राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम का नाम शामिल था लेकिन, साफ-सुथरी एवं सौम्य छबि के विष्णुदेव के हाथ में पार्टी की कमान सौंपना भाजपा नेतृत्व मुनासिब समझा। पार्टी आलाकमान के इस फैसले पर प्रदेश की जनता कहां तक भाजपा से सहमत होगी ये तो आने वाला वक्त तय करेगा।
जानें किसान परिवार से केंद्रीय मंत्री तक सफर
जशपुर जिले के कांसाबेल तहसील के एक छोटे से गांव बगिया में एक किसान परिवार से निकल कर विष्णुदेव साय ने केंद्रीय मंत्री तक का सफर तय किया। रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र से साय 20 साल तक सांसद रहे। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रदेश से भाजपा के 10 सांसद लोकसभा पहुंचे थे। इनमें से कुछ विष्णुदेव साय से भी वरिष्ठ थे, पर एनडीए सरकार में इनको जगह मिली। विष्णुदेव साय तपकरा विधानसभा क्षेत्र से अविभाजित मध्यप्रदेश में दो बार विधायक रह चुके हैं।