नेशनल डेस्क। भारत और चीन के बीच बीते करीब एक माह से पूर्वी लद्दाख की सीमा पर तनाव (india china border tension) बना हुआ है। तनाव को कम करने के लिए दोनों तरफ से प्रयास हो रहे हैं। इस मुद्दे पर शनिवार को दोनों देशों के बीच अहम बैठक होने जा रही है। हालांकि इससे पहले चीन के लड़ाकू विमानों अक्साई चिन इलाके में मंडराते देखे गए हैं। चीन की वायुसेना सीमा के करीब युद्धाभ्यास कर रही है। भारतीय वायुसेना भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है।

भारतीय वायुसेना भी अलर्ट पर है। उत्तराखंड और सिक्किम सीमा पर चीन की सेना की तरफ से बड़े पैमाने पर सैनिकों की तैनाती की गई है। जिसके जवाब में भारतीय सेना ने भी एलएसी पर अपने जवानों की तैनाती बढ़ा दी है। चीन ने सीमा पर हथियारों, टैंकों और आर्टिलरी गनों की भी तैनाती बढ़ायी है। वहीं भारत की तरफ से शॉर्ट नोटिस पर टी-72, टी-90 टैंक और बोफोर्स जैसी आर्टिलरी गन को लद्दाख सीमा पर तैनात किया जा सकता है।

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शनिवार 6 जून को भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल रैंक के अधिकारियों की मीटिंग होगी। इस मीटिंग में दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम करने और सीमा पर शांति बनाए रखने का प्रयास किया जाएगा। भारत और चीन के बीच 10 दौर की बातचीत हो चुकी है। जिस तरह से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, उसे देखते हुए 6 जून को होने वाली बैठक को काफी अहम माना जा रहा है। भारत की तरफ से इस बैठक में 14 कॉर्प्स के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह शामिल होंगे।

बता दें कि 14 कॉर्प्स को फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स के नाम से भी जाना जाता है। इसी कॉर्प्स के पास कारगिल, लेह में सेना की तैनाती की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही चीन से लगती सीमा, कश्मीर और सियाचिन ग्लेशियर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी इसी कॉर्प्स के पास है। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को चीन मामलों का जानकार माना जाता है।

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