भिलाई। छत्तीसगढ़ के भिलाई की एक कंपनी ने मानवता को शर्मसार करने वाली सारी हदें पार कर रख दी है। भिलाई में सिसकोल स्टील इंफ़्रा सॉल्यूशन प्राइवेट कंपनी (Siscol) की यूनिट में कार्यरत एक कर्मी नेयिल्ला ट्रनो बेहरा औद्योगिक दुर्घटना का शिकार हो गया। कंपनी में कार्य के दौरान हादसे का शिकार हुए कर्मी की उपचार के दौरान मौत हो गई।

कर्मी की मौत के बाद कंपनी ने उनके परिजन को क्षतिपूर्ति राशि तो दी, लेकिन उस क्षतिपूर्ति राशि में मृतक कर्मी के उपचार पर आए खर्च की रकम भी जोड़ दी। एक ओर मृतक का परिवार घर के मुखिया को खोने की वजह से सदमें में है, तो वहीँ दूसरी ओर सिसकॉल कंपनी की इस करतूत ने पीड़ित परिवार के दर्द को समझना भी मुनासिब नहीं समझा। ऐसे में आर्थिक क्षति से परेशान परिवार अब न्याय के लिए भटक रहा है।

इधर छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा ने सरकार से इस पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की मांग की है। छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा संबंधित जन आधारित पावर प्लांट मजदूूर यूनियन के महासचिव कलादास डहरिया का कहना है कि ऐसी दुर्घटना होने पर कंपनी को ही चिकित्सा का खर्च उठाने का नियम है। परिजनों को दी जाने वाली क्षतिपूर्ति राशि में इसे नहीं काटा जा सकता है। मामले में पीड़ित परिवार को न्याय दिलांएगे।

बता दें कि सिसकॉल कंपनी में हुई ये घटना बीते साल नवंबर माह की है। जहां कंपनी की यूनिट में कार्यरत एक कर्मी औद्योगिक दुर्घटना का शिकार हो गया था, इसके बाद उसे उपचार के लिए कंपनी प्रबंधन द्वारा भिलाई के स्पर्श मल्टी स्पेशयलटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां उपचार के दौरान कर्मी ने दम तोड़ दिया।

आरोप है कि कर्मी की मौत के बाद उसके परिजनों को कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम के तहत दी जाने वाली राशि में ही उपचार का खर्च भी जोड़ दिया गया। परिजनों को केवल सात लाख रुपये नकद भुगतान किया गया। वहीं चिकित्सा खर्च सात लाख 50 हजार अस्पताल प्रबंधन को भुगतान व अंतिम संस्कार पर खर्च 70 हजार रुपये व्यय को भी कर्मी की क्षतिपूर्ति राशि में जोड़ दिया। जबकि नियमतः अस्पताल का खर्च कंपनी को उठाना था परंतु ऐसा न कर पीड़ित परिवार को मिलने वाली रकम में ही जोड़ दिया गया।