नई दिल्ली। 5 मई से लगातार लद्दाख बॉर्डर (India china border clash) पर भारत और चीन के सैनिकों के बीच महौल गर्म था। लेकिन किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि हालात इतने बिगड़ जाएंगे कि बगैर गोली चले भारत के 20 जवान शहीद हो जाएंगे। इस हिंसा में चीन को कितना नुकसान हुआ है फिलहाल उसने यह छिपाकर रखा है। 15 जून को भी सब ठीक ही था, लेकिन शाम को अचानक चीनी सैनिकों ने भारतीय ऑफिसर और उनके दो जवानों पर हमला बोल दिया। देखते-देखते दोनों तरफ से करीब 700 सैनिक वहां जमा हो गए थे।

सोमवार सुबह ब्रिगेड कमांडर लेवल के साथ लोकल कमांडर लेवल की मीटिंग हुई। कमांडिंग अफसर (कर्नल) ने चीन के लोकल कमांडर से बात की। शाम को भारतीय सेना के ऑफिसर टीम के साथ गलवान वैली में पीपी-14 पहुंचे जहां से चीनी सैनिकों को पीछे हटना था। ऐसा बातचीत में तय हुआ था। तब वहां 10-12 चीनी सैनिक थे। अचानक बहुत से सैनिक आए। भारतीय ऑफिसर और उनके दो जवानों पर पत्थरों और लोहे की रॉड से हमला बोल दिया। भारतीय सैनिक चौंक गए और इसका जवाब दिया गया। भारी संख्या में भारतीय सैनिक भी उस पॉइंट पर पहुंचे और आधी रात तक हिंसक झड़प चलती रही।

भिड़े थे 600 से 700 सैनिक

सूत्रों का कहना है कि करीब एक बटैलियन के बीच यह खूनी झड़प हुई यानी करीब 600-700 सैनिक। रात के वक्त हुई झड़प में कई सैनिकों के गहरे नाले में गिरने की भी बात कही जा रही है। दोनों तरफ के काफी सैनिक बुरी तरह जख्मी हैं।

​सुबह चीन से बात करने गए थे शहीद कर्नल

सोमवार सुबह कर्नल संतोष बाबू ने ही चीन के लोकल कमांडर से बातचीत की थी और शाम को जब वह हालात का जायजा लेने गए तो उन्हीं पर हमला कर दिया गया। उनके साथ दो और जवानों की शहादत हुई। इनके नाम हैं हवलदार पलानी और सिपाही कुंदन ओझा।

​2019 में संभाली थी कमान

हिंसक झड़प में 16 बिहार रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल संतोष बाबू वीरगति को प्राप्त हुए। वह आंध्र प्रदेश के सूर्यापेट के रहने वाले थे। संतोष ने 2 दिसंबर 2019 को ही कमान संभाली थी। अब उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी हैं। उनके पिता फिजिकल एजुकेशन टीचर हैं। शहीद कर्नल संतोष बाबू हैदराबाद के सैनिक स्कूल से एनडीए के लिए चुने गए थे।

चीन को भी नुकसान की खबर

चीन के भी पांच सैनिक मारे गए हैं। उसके 43 सैनिक हताहत हुए। एलएसी पर 45 साल बाद शहादत हुई है। इससे पहले 1975 में अरुणाचल प्रदेश में चार भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जब चीन के सैनिकों ने घात लगातार हमला किया था।