रितुराज पवार

धमतरी। छत्तीसगढ़ में धान की अत्यधिक पैदावार की वजह से इसे धान का कटोरा कहा जाता है। अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने फसल की सुरक्षा और किसानों की आय में वृद्धि के लिए कृषि पद्धति की पुरातन परंपरा ‘रोका छेका ‘ को पूरे प्रदेश में अभियान के रूप में लागू करने का निर्णय लिया है। इस योजना में क्रियान्वयन के लिए निर्देश भी जारी कर दिए गए है। शुक्रवार 19 जून से इसकी शुरूआत हो गई है,धमतरी में इसकी शुरुआत महापौर विजय देवांगन के हाथों हुआ। मकई चौक में सड़क पर बैठे मवेशी को सभी ने काऊ केचर वाहन में डालकर कांजीहाउस के लिए रवाना किया, इस दौरान कांग्रेस के जिलाध्यक्ष व पदाधिकारी सहित निगम के कर्मचारी मौजूद थे।

क्या है रोका- छेका

बताया गया कि रोका- छेका पुराने समय से ग्रामीण जिंदगी का अभिन्न हिस्सा रहा है। खरीफ बुवाई के दौरान फसल की सुरक्षा के लिए पशुधन को गौशालाओं में रखने की प्रथा रही है। जिससे मवेशी खेतों में न जा पाये व फसल की सुरक्षा हो सके।

यह फसल उत्पादन को बढ़ावा देने की स्थानीय परंपरा रही है। गौशालाओं में पशुओं को रखने से दूसरा लाभ यह भी होता है कि उनके गोबर से जैविक खाद बनाया जाता है। जिसका उपयोग फसल उत्पादन में होता है। मवेशियों को सरंक्षित करना, फसलों को मवेशियों से बचाना और गोबर से कुदरती खाद बनाना जैसी बातें इस परंपरा में शामिल हैं।