नई दिल्ली। गलवन घाटी में 20 भारतीय सैनिकों के शहीद होने के बाद भारतीय सेना द्वारा रूल्स ऑफ इंगेजमेंट () में एक महत्वपूर्ण बदलाव कर दिया गया है। इसके तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात कमांडरों के लिए असमान्य समय में हथियारों के इस्तेमाल पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर दो वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि सामरिक स्तर पर ऐसी स्थित से निपटने के लिए सैनिकों को कार्रवाई की पूरी स्वतंत्रता दे दी गई है।

अधिकारियों में से एक ने कहा कि कमांडरों अब हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध से बाध्य नहीं होंगे। असाधारण स्थितियों से निपटने के लिए कमांडरों के पास उपलब्ध सभी संसाधनों का वे पूरी तरह से इस्तेमाल कर सकेंगे और उन्हें दुश्मन की प्रतिक्रिया देने का पूर्ण अधिकार होगा। आरओई में संशोधन भारतीय और चीनी सैनिकों द्वारा 15 जून को गलवन घाटी में 45 वर्षों में अपने पहले घातक संघर्ष में शामिल होने के बाद किया गया है।


बता दें कि पहले से पूरी तैयारी से आए चीनी सैनिकों ने धोखे से हमला कर एक कमांडिंग अफसर सहित 20 सैनिकों को शहीद कर दिया था। इसके बाद भारतीय सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए 40 से 45 चीनी सैनिकों को मार गिराया। साथ ही एक चीनी कर्नल को बंधक भी बना लिया था। भारत और चीन के बीच साल 1996 और 2005 के सीमा समझौते में आमने-सामने की गोलीबारी का इस्तेमाल नहीं किया गया है। नवंबर 1996 में भारत और चीन द्वारा हस्ताक्षरित LAC के साथ सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण के उपायों पर समझौते के अनुच्छेद 6 में कहा गया है कि दोनों पक्ष गोली नहीं चलाएंगे।