नेशनल डेस्क। लेह लद्दाख में गलवां घाटी में चीन के दुस्साहस को लेकर भारत के सख्त रुख के चलते सेना और वायुसेना दोनों तैयारियां मुकम्मल करने में जुटे हैं। फिलहाल मुख्यालयों से आगामी एक्शन को लेकर स्पष्ट आदेशों का इंतजार है, लेकिन इस बात के संकेत जरूर हैं कि भारत इस बार चीन को सबक सिखाना चाहता है।

सूत्रों ने बताया कि वैसे तो चंडीगढ़ एक तरह से एयरफोर्स का ट्रांसपोर्ट एयरबेस है। यहां चिनूक, आईएल 76 एमडी और एएन-32 जैसे ट्रांसपोर्ट विमानों की स्क्वाड्रन है। अंबाला एयर फोर्स स्टेशन पर भी जगुआर और मिग के साथ-साथ सुखोई और मालवाहक विमानों की एक्सरसाइज जारी है। सिरसा एयर फोर्स स्टेशन में फ्लाइंग लांसर सुखोई 30 एमकेआई और मिग-21 बाइसन की स्क्वाड्रन भी अपनी तैयारियों में जुटी हुई है।

आदमपुर एयरफोर्स स्टेशन में मिग 29 अपग्रेड, श्रीनगर एयरपोर्ट स्टेशन में एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर, हलवारा एयरफोर्स स्टेशन में सुखोई, पठानकोट स्टेशन में मिग और अपाचे लड़ाकू विमान और हेलीकॉप्टर अपनी तैयारियों में जुटे हैं। सूत्रों ने बताया कि मुख्यालय ने एलएसी पर भी लड़ाकू व मालवाहक विमानों और हेलीकॉप्टरों की एक्सरसाइज को तेज करने के आदेश दिए गए हैं।

सेना की नॉर्दन और वेस्टर्न कमांड के सभी कमांडर विभिन्न मोर्चों पर दुश्मनों के खिलाफ रणनीतिक चर्चा में जुटे हुए हैं। सूत्रों ने बताया कि एलएसी ही नहीं एलओसी पर भी वर्तमान हालात कैसे हैं, इन मोर्चों पर तैनात भारतीय सेना की सभी कोर और महत्वपूर्ण यूनिटों की ऑपरेशनल तैयारियां कैसी हैं, किस तरह यहां दुश्मनों से निपटा जा सकता है, इत्यादि मसलों पर वेस्टर्न और नॉर्दन कमांड के कमांडर और आला अफसरों ने चर्चा की।

उधर, आर्मी चीफ एमएम नरवणे भी दो दिन से एलएसी पर हैं। उन्होंने भी दोनों कमांड के कमांडरों के साथ रणनीतिक चर्चा की है। सूत्र बताते हैं कि इस चर्चा के बाद यह साफ कर दिया गया है कि पाकिस्तान हो या चीन दोनों मोर्चों पर सेना की जवाबी कार्रवाई और ज्यादा सख्त होगी।

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