नई दिल्ली। भारत और चीन के सीमा विवाद के चलते बीते 15 जून की रात पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में दोनों ही देशों के सैनिकों की जान गई थी। हालांकि चीन ने ना तो सैनिकों और उनके परिवारों को सम्मान देने पर कोई चर्चा की है और ना ही जनता को मारे गए सैनिकों के नाम बताए हैं। और तो और जब चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी के जवानों के परिवारों ने भारत की तरह शहीदों के सम्मान की मांग की, तो सरकार ने उन्हें चुपचाप रहने के लिए इसकी जानकारी बाद में देने के लिए कह दिया।

ग्लोबल टाइम्स बोला-सही समय आने पर दी जाएगी जानकारी

इस संबंध में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स में एक लेख छपा है। इसमें ग्लोबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने लिखा कि सेना में मरने वालों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है। समाज को इसके लिए बाद में सही वक्त आने पर जानकारी दी जाएगी, जिससे जांबाजों का सम्मान हो सके और उन्हें याद रखा जाए। वे इसके हकदार हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=_1p-A_gAxck

गौरतलब है कि ग्लोबल टाइम्स में यह लेख एक वीडियो के सोशल मीडिया पर ऑनलाइन आने के दो दिन बाद लिखा गया है। इस वीडियो में लद्दाख एलएसी पर मारे गए पीएलए के सैनिकों के परिजनों का आक्रोश स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

इस दौरान परिजन मारे गए चीनी सैनिकों को भारत के शहीदों की ही तरह सम्मान दिए जाने की मांग करते नजर आ रहे थे। इस लेख में उन्होंने कहा कि भारत में शहीदों का बहुत सम्मान किया जाता है। हालांकि चीन में शहीदों को ना तो कोई सम्मान दिया जाता है और ना ही कोई पहचान दी जाती है।

इसके साथ ही ग्लोबल टाइम्स ने इस बात को स्वीकार भी किया है कि एलएसी पर हुई हिंसक झड़प में चीनी सैनिक मारे गए थे। हालांकि इसमें मारे गए सैनिकों की तादाद 20 से कम होने का दावा किया गया है। इस बीच चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी सरकार अभी तक इस गंभीर मामले पर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है। इसके अलावा चीन लोगों को यह भी नहीं बता रहा है कि एलएसी पर उसके कितने सैनिक मारे गए।