टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ में शराब का पैसा का पैसा आखिर किसकी जेब में जा रहा है, ये बड़ा सवाल अब उठने लगा है। सरकार के खजाने में पैसा जाने के बजाय शराब दुकान के सेल्समेन और सुपरवाइजर ही सारी राशि डकारकर फरार हो जा रहे हैं। इतना ही नहीं जिस एजेंसी को हिसाब-किताब रखवाली की जिम्मेदारी दी गयी है, उसी एजेंसी के वफादार लूट-पाट और पैसों की चोरी में मास्टरी कर रहे हैं।

फॉरेन लिक्कर शॉप सिविक सेंटर का मामला
ऐसा ही एक ताजा मामला छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में फॉरेन लिक्कर शॉप सिविक सेंटर का सामने आया है, जहां पिछले 4-5 दिनों से अचानक शराब दुकान में ताला जड़ा हुआ है। इसके पीछे चौंका देने वाली वजह है कि शराब दुकान के सुपरवाइजर और सेल्समेन करीब 50-60 लाख रुपए का गबन कर कैश लेकर फरार हो गए हैं। इस पूरे खेल में सरकार को ओवरऑल करीब 1 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान की संभावना है। इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। इतने बड़े खेल में ना तो कोई एफआईआर हुई और ना ही कोई ठोस कार्यवाही की गयी।
हिसाब-किताब रखवाली का जिम्मा सुमीत सेल एजेंसी को
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फॉरेन लिक्कर शॉप सिविक सेंटर में हिसाब-किताब रखवाली का जिम्मा सुमीत सेल एजेंसी को दिया गया है। हैरानी की बात तो ये है कि शराब दुकान में इतना बड़ा झोल हो गया और शासन-प्रशासन को इसकी भनक भी नहीं लगने दी गयी। सुमीत सेल के वफादारों के कारनामा के पोल को दबाने का प्रयास किया गया।
अफसर की सुमीत सेल पर मेहरबानी
जानकारों की माने तो इन सबके पीछे किसी बड़े अफसर की सुमीत सेल पर मेहरबानी बताई जा रही है। यही वजह है कि इतना बड़ा गोरखधंधा शासन-प्रशासन की नाक के नीचे अंजाम दिया गया। गौर करने वाली एक बात और है कि सुमीत सेल वही एजेंसी है, जिस पर भाजपा शासनकाल के दौरान तत्कालीन मंत्री अमर अग्रवाल ने ब्लैक लिस्टेड करने की अनुशंसा की थी।
10 दिन से कैश जमा नहीं
बता दें कि शराब दुकानों में होने वाली इनकम को प्रतिदिन जमा कराए जाने का प्रावधान है, लेकिन सुमीत सेल के वर्करों ने करीब 10 दिन से कैश जमा नहीं कराया था। इसी बीच वर्करों की नीयत बिगड़ी और वे शराब दुकान की इनकम का लाखों रुपये लेकर फरार हो गए।
क्या कठोर कार्यवाही की जाएगी?
अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या ऐसी एंजेसियां अफसरों के साथ मिलकर सरकार के खजाने को चूना लगाते रहेंगे? इतने बड़े झोल पर सुमीत एजेंसी के खिलाफ क्या कठोर कार्यवाही की जाएगी? एफआईआर दर्ज कर गबन की राशि कैसे वसूल होगी?
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