टीआरपी डेस्क। भारत में हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस (Teacher Day) के रूप मनाया जाता है। यह उत्साह देश भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान दार्शनिक, अंतर्राष्ट्रीय विद्वान, अनुकरणीय शिक्षक और श्रेष्ठ राजनीतिज्ञ थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन शिक्षा और समाज को एक नई दिशा देने के लिए समर्पित किया था। वे देश में युवाओं को शिक्षित करने और एक जिम्मेदार नागरिक बनाने के लिए भी सदा तत्पर रहते थे।

Dr. Sarvepalli Radhakrishnan का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तिरुतनी में एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था। डॉ राधाकृष्णन ने अपने शैक्षिक करियर की शुरुआत मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज से की। बाद में उन्होने मैसूर और कलकत्ता विश्वविद्यालय तथा ऑक्सफोर्ड जैसे विख्यात विश्वविद्यालय में भी दर्शनशास्त्र का अध्ययन कराया था। उनके इसी असाधारण व्यक्तित्व और देश-विदेश में दिये गए योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हे 1954 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था।

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन(Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) एक उच्च स्तर के विद्वान और महान व्यक्ति माने जाते थे। इसी कारण डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) को विश्व-प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार के लिए 27 बार नामांकित किया गया था जिसमें साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए 16 बार और शांति के नोबेल पुरस्कार के लिए 11 बार सम्मिलित है। ब्रिटिश सरकार ने उन्हे 1931 में नाइट की पदवी (knighthood) से सम्मानित किया था। 1975 में उन्हे टेम्पलटन पुरस्कार भी प्रदान किया गया था।

कब से और क्यों मनाया जाता है शिक्षक दिवस

भारत के दूसरे राष्ट्रपति और महान दार्शनिक डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (Dr. Sarvepalli Radhakrishnan) ने एक बार कहा था कि “5 सितंबर को मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय यदि इस दिन को हर वर्ष शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है, तो यह मेरा गौरवपूर्ण विशेषाधिकार होगा।“ उनकी इसी इच्छा के कारण भारत में 1962 से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

भारत में इस तरह मनाया जाता है Teachers Day

इस दिन स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती हैं, उत्सव, कार्यक्रम आदि होते हैं। शिक्षक अपने टीचर्स को गिफ्ट देते हैं। कई प्रकार कि सांस्कृतिक गतिविधियाँ होती है जिसमे छात्र और शिक्षक दोनों ही भाग लेते है। गुरु-शिष्य परम्परा को कायम रखने का संकल्प लेते हैं।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के 10 प्रेरणादायक विचार

  1. पुस्तकें वह माध्यम हैं जिनके जरिये विभिन्न संस्कृतियों के बीच सेतु का निर्माण किया जा सकता है।
  2. असली शिक्षक वही है जो हमें स्वयं के लिए चिंतन करना सिखाये। 
  3. धर्म व्यवहार है सिर्फ विश्वास मात्र नहीं।
  4. ज्ञान से हमें शक्ति मिलती है जबकि प्रेम से हमें परिपूर्णता प्राप्त होती है।
  5. पुस्तक पढ़ने से हमें एकान्त में चिंतन करने और स्वयं में आनंदित रहने की आदत होती है।
  6. जब हमें यह लगता है कि हम जानते हैं, तो हम सीखना बंद कर देते हैं।
  7. शिक्षा का अंतिम परिणाम एक स्वतंत्र रचनात्मक व्यक्ति का निर्माण होना चाहिए, जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक विपदाओं के खिलाफ लड़ सके।
  8. यदि धर्म का दर्शन वैज्ञानिक बनना है, तो इसे अवश्य अनुभवजन्य होना चाहिए और धार्मिक अनुभव पर खुद को स्थापित करना चाहिए
  9. मेरी महत्वाकांक्षा मानव प्रकृति के गहन धरातल में भारत के स्रोतों को प्रकट करना है।
  10. हमें पढ़ना तो सिखाया जाता है किन्तु सोचने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है।

कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई से हो रही काफी दिकत

साल 2020 में कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है। जो अभिभावकों, बच्चों और शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गई है। अभिभावकों को परेशानियां आ रही है की कोरोना काल में काम-काज शुरू किए बगैर ही स्कूलों में भुगतान का तगादा शुरू हो गया है। वही शिक्षक भी ऑनलाइन पढ़ाई के लिए पाठ बनाने से परेशान हो गए हैं। बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान पढ़ाए जा रहे पाठ से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें पाठ समझने में काफी परेशानी आ रही है।

वहीं शिक्षक भी उन्हें समझाने के लिए काफी पापड़ बेल रहे हैं। कोरोना काल में ऑनलाइन क्लास परेशानी का सबसे बड़ा सबब बन चुका है। बच्चों की जिंदगी ही दाव पर लगी हुई है ऑनलाइन क्लास के कारण बच्चे सारे दिन व्यस्त रहते हैं। मगर उन्हें कुछ समझ नहीं आता। पढ़ाई तो किताब, कॉपी से ही हो सकती है। ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों को कोई फायदा नहीं मिल रहा, बल्कि बच्चों में मोबाइल और लैपटॉप देखने की आदत और पड़ रही है।

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