नेशनल डेस्क। कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला दिया है। कोरोना वायरस से बचने और बचाने के लिए दुनियाभर के वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं। आपको बता दे की भारत में भी पहली बार किसी संक्रमण पर 500 से ज्यादा शोध किए जा चुके हैं। दुनियाभर में लगभग 50 हजार चिकित्सीय अध्य्यन पूरे होने के बात लैंसेट समेत शीर्ष विज्ञान पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुक है।

इसके वाबजूद वैज्ञानिक वायरस की चाल पता नहीं लगा पाए हैं। वैज्ञानिक मानते हैं कि अध्य्यनों के वाबजूद तय नहीं है कि वैक्सीन कब मिलेगी। कब पहले की तरह जीवन सामान्य हो सकेगा। वे कहते हैं कि तमाम सवाल अब भी खोज बने हुए हैं।

विज्ञान के गणितीय मॉडल भी चर्चा में

कोरोना महामारी के बीच विज्ञान के गणितीय मॉडल भी चर्चाओं में रहे। इन मॉडल के आधार पर संक्रमण की गति और उसके प्रभावों को समझ रणनीति पर काम किया गया।

विज्ञान को भी वैक्सीन का इंतजार


एनआईवी पुणे की डॉ प्रिया अब्राहम कहती है, वायरस दुनिया के साथ विज्ञान के लिए भी नया है। संक्रमण के बारे में अब तक काफी कुछ समझा जा चुका है। लेकिन अब भी बहुत कुछ जानना बाकी है। कोरोना वैक्सीन कब आएगी इसका इंतजार वैज्ञानिकों को भी इसका बेसब्री से इंतजार है।

साल 1977 से लेकर अब तक पहली बार एक ही संक्रमण पर सबसे ज्यादा शोध

आईसीएमआर के एक वैज्ञानिक ने बताया कि आईसीएमआर के इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च कोविड 19 पर तीन अंक ला चुका है। चौथा अंक भी इसी प्रकाशित होगा।

अब तक 100 अध्य्यन इसमें प्रकाशित हो चुके हैं। वर्ष 1977 ये जर्नल प्रकाशित हो रहा है, लेकिन पहली बार एक ही संक्रमण पर इतने शोध हो रहे हैं।

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