पुणे। (COVID-19) सिक्योरिटी एजेंसी में बिजनेस पार्टनर के रूप में प्रति माह लगभग 60,000 रुपए कमाते वाले एक कारोबारी ने अपनी पसंद से अपना पिछला काम छोड़ दिया और अब अस्पताल के वार्डबॉय के रूप में मरीजों की सेवा कर रहे हैं। वार्डबॉय के रूप सिर्फ 16,000 रुपए का वेतन कमा रहे हैं।
कोरोनो संक्रमण ने बदल दी जिंदगी
दरअसल गायकवाड़ को कुछ दिनों पहले कोरोना संक्रमण हुआ था। इस बीमारी से ठीक होने के बाद वे मरीजों की सेवा करना चाहते थे। खासकर ऐसे मरीज जो कोरोनोवायरस से प्रभावित हैं। व्यवसायी सुभाष बी गायकवाड ने होम आइसोलेशन खत्म होने के बाद अखबार में पीसीएमसी संचालित अस्पताल से जुड़ा वॉर्डबॉय के लिए विज्ञापन देखा। गायकवाड ने बताया कि मैं तुरंत भोसरी अस्पताल गया और अपना आवेदन प्रस्तुत किया। मुझे अगले दिन से जॉइन करने को कहा गया।
खुद को मरीजों की सेवा में लगा दिया
गायकवाड वॉर्डबॉय की नौकरी करने के लिए अपने स्कॉर्पियो से आते हैं, जिससे लोगों का ध्यान उनकी तरफ बरबस ही चला जाता है। लेकिन वह अपने काम के लिए लोगों की तारीफ भी बटोर रहे हैं कि उन्होंने बेहतर पैसे वाली नौकरी को छोड़कर खुद को मरीजों की सेवा में लगा दिया है। गायकवाड़ की पत्नी भी भोसरी अस्पताल में नर्स हैं।
गायकवाड कहते हैं मैं एक डर के बाद जिंदा बचा हूं। यदि आप जिंदा ही नहीं रहेंगे तो पैसे का कोई मतलब नहीं है। भगवान ने मुझे एक और मौका दिया है… मेडिकल बिरादरी ने मुझे एक नया जीवन दिया है। मैं इसे रोगियों की सेवा में लगाना चाहता हूं। पिंपरी-चिंचवाड़ के इंद्रायणी नगर इलाके में स्पाइन रोड के निवासी, गायकवाड़ जून में कोरोनावायरस टेस्ट पॉजिटिव आया था। इसके बाद उन्होंने वाईसीएमएच के आईसीयू में पांच दिन बिताए।
गायकवाड़ कहते हैं कि मैं इतना डर गया था कि मैंने अपनी पत्नी को एक संदेश भेजा कि मुझे नहीं लगता कि मैं बचूंगा। हालांकि, पांच दिनों के बाद वह ठीक हो गए। इसके बाद पांच दिनों के लिए उन्हें सामान्य वार्ड में ले जाया गया। गायकवाड ने कहा कि मेरी पत्नी मेरा सबसे बड़ा सहारा थी।
फर्श को साफ करने का मिला काम
उनकी पत्नी को भी कोरोना हो गया जिसके बाद वह भी होम क्वारंटीन हो गईं। अस्पताल में नौकरी के बारे में गायकवाड कहते हैं कि पहले दिन उन्हें फर्श को साफ करने के लिए कहा गया था। अस्पताल में वहां मरीजों का कोरोनावायरस का टेस्ट किया जाता है। उन्होंने कहा कि मैंने इसे पूरी ईमानदारी से किया। गायकवाड ने बताया कि मैंने उस विभाग में एक महीने तक काम किया, अब मुझे दूसरे विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया है।
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