नेशनल डेस्क। देश-दुनिया में फैले कोरोना वायरस संकट के बीच इंसानियत की मिसाल पेश करने वाली एक खबर सामने आई है। गौरतलब है की जब पंजाब शहर के मलेरकोटला शहर में सड़क पर किसान संघ से जुड़े सिख किसान प्रदर्शन कर रहे थे। आधा पंजाब सड़क पर है, तब मुसलमानों ने सिख किसानों की भूख प्यास की जिम्मेदारी अपने कंधों पर लेते हुए वहां के मुसलमानों ने लंगर लगाना शुरू कर दिया।

बता दें हजारों मुस्लिम महिलाएं शाहीनबाग में अपनी पहचान और सम्मान की लड़ाई इस मुल्क के निजाम से लड़ रही थीं, तब उस लड़ाई में अपना कंधा देने के लिए पंजाब से आए सिख भाइयों ने खुली सड़क पर लंगर लगा दिए थे। आज मुसलमानों ने अपने सिख भाइयों का कर्ज अदा नहीं किया बल्कि वही काम किया जो इस मुल्क के जिंदा नागरिकों को करना चाहिए, शाहीनबाग के समय सिख कर रहे थे, किसान आंदोलन के समय मुसलमान कर रहे हैं।

1947 में भी मलेरकोटला में नहीं हुए थे दंगे

वह जगह भी मलेरकोटला ही थी। 1947 में जब धर्मिक नफरत अपने चरम पर थी, उस दौर में भी मलेरकोटला में कोई दंगे नहीं हुए, जबकि विभाजन के समय पंजाब सबसे अधिक प्रभावित राज्यों में से एक था चूंकि पंजाब की सीमा पाकिस्तान से मिलती है।

यहां के मुस्लिम बाहुल्य परिवारों ने रहने के लिए अपने ही मुल्क हिंदुस्तान को चुना। पूरे देश को मलेरकोटला से सीखना चाहिए। यहां के मुस्लिमों से पूरी दुनिया के मुस्लिमों को सीखना चाहिए। यहां के सिखों से इस मुल्क की बहुसंख्यक आबादी को सीखना चाहिए।

आपने पहले भी एक खबर पढ़ी होगी की केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों को बाद देशभर के धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति मिल गई है। इसी बीच गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों को महामारी के दौरान भोजन मिल सके इसलिए अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में लंगर भी शुरू हो चुका है। मानवता के इस काम में सहयोग के लिए मुस्लिम समुदाय भी सामने आया था।

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