लंदन। अफ्रीकी नस्ल के एक विशाल चूहे को ब्रिटेन की एक संस्था ने बहादुरी के लिए गोल्ड मेडल(sniffir rat gets gold medal) से सम्मानित किया है। दरअसल इस चूहे ने कंबोडिया में अपने सूंघने की क्षमता से 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया था।

बताया जा रहा है कि अपने काम के दौरान इस चूहे ने 28 जिंदा विस्फोटकों का भी पता लगाकर हजारों लोगों की जान बचाई है। अफ्रीका के इस जाइंट पाउच्ड चूहे का नाम मागावा है जो सात साल का है।

गोल्ड मेडल से सम्मानित हुआ चूहा

शुक्रवार को ब्रिटेन की चैरिटी संस्था पीडीएसए ने इस चूहे के काम से प्रभावित होकर गोल्ड मेडल प्रदान किया। मागावा को इस काम के लिए चैरिटी संस्था एपीओपीओ ने प्रशिक्षित किया था।

इस चैरिटी ने बताया कि मागावा ने अपने काम से कंबोडिया में 20 फुटबॉल मैदानों (141,000 वर्ग मीटर) के बराबर के क्षेत्र को बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों से मुक्त किया है।

इंसान से कई गुना तेज है यह चूहा

मागावा का वजन 1. 2 किलो है, इसलिए बारूदी सुरंगों के ऊपर से चलने के समय भी इसके वजन से विस्फोट नहीं होता है। यह इतना प्रशिक्षित है कि केवल 30 मिनट में एक टेनिस कोर्ट के बराबर एरिया को सूंघकर जांच कर सकता है। जबकि, इतने बड़े क्षेत्र को एक आम इंसान बम डिटेक्टर की मदद से लगभग चार दिनों में जांच कर पाएगा। इस दौरान उसके वजन से विस्फोट का भी खतरा बना रहेगा।

चूहों को ट्रेनिंग देने वाली एजेंसी के बारे में जानिए

इन चूहों को चैरिटी संस्था एपीओपीओ ट्रेंड करती है। यह संस्था बेल्जियम में रजिस्टर्ड है और अफ्रीकी देश तंजानिया में काम करती है। यह संस्था 1990 से ही मागावा जैसे विशाल चूहों को ट्रेनिंग दे रही है।

एक चूहे को ट्रेनिंग देने में इस संस्थान को एक साल का समय लगता है। इसके बाद उस चूहे को हीरो रैट की उपाधि दी जाती है। पूरी तरह ट्रेंड और प्रमाणित होने के बाद ये चूहे स्निफर डॉग की तरह काम करते हैं।

कंबोडिया में कहां से आईं बारूदी सुरंगे

कंबोडिया 1970 से 1980 के दशक में भयंकर गृह युद्ध से प्रभावित रहा है। इस दौरान दुश्मनों को मारने के लिए बड़े पैमाने पर बारूदी सुरंगे बिछाई गईं थी। लेकिन, गृहयुद्ध के खत्म होने के बाद ये सुरंगे अब यहां के आम लोगों की जान ले रही हैं।

एक गैर सरकारी संगठन के अनुसार, कंबोडिया में बारूंदी सुरंगों के कारण 1979 से अब तक 64 हजार लोग मारे जा चुके हैं जबकि 25 हजार से ज्यादा अपंग हुए हैं।

हर साल जानवरों को पुरस्कृत करती है यह संस्था

ब्रिटिश चैरिटी पीडीएसए हर साल बेहतरीन काम करने वाले जानवरों को पुरस्कृत करती है। इस संस्था के 77 साल के लंबे इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी चूहे ने इस तरह का पुरस्कार जीता है।

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