नई दिल्ली। बजट घाटे को पाटने के लिए सरकार देश की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) में अपनी 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार कैबिनेट की मंजूरी लेने पर विचार कर रही है।

सूत्रों के मुताबिक सरकार संसद के उस कानून में संशोधन करना चाहती है जिसके तरह एलआईसी की स्थापना की गई थी। इससे कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का रास्ता साफ होगा।

सूत्रों का कहना है कि एलआईसी का आईपीओ कब आएगा, यह बाजार की परिस्थितियों पर निर्भर करता है। एलआईसी में सरकारी हिस्सेदारी की बिक्री कई चरणों में की जाएगी। इस बारे में वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता प्रतिक्रिया के लिए तुरंत उपलब्ध नहीं थे।

सरकार ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को 100 फीसदी से घटाकर 75% तक सीमित करने का फैसला किया है। सरकार का मानना है कि कोरोना के इस दौर में कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च बढ़ने और टैक्स में कमी होने के अंतर की भरपाई LIC की हिस्सेदारी बेचकर की जा सकती है।

राजकोषीय घाटा

एलआईसी में हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति दुरुस्त करने में मदद मिलेगी। कोविड-19 महामारी को कारण इकॉनमी त्रस्त है और राजकोषीय घाटा बढ़ने का खतरा मंडरा रहा है। सरकार ने वित्त वर्ष 2021 के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य जीडीपी का 3.5 फीसदी तय किया है।

सरकार ने इस वित्त वर्ष के दौरान विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है लेकिन अभी तक वह केवल 57 अरब रुपये ही जुटा पाई है। एलआईसी में हिस्सा बेचकर सरकार इस लक्ष्य को हासिल कर सकती है।

आज के वैल्यूएशन के हिसाब से LIC में अपनी 25% हिस्सेदारी बेचने पर केंद्र सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए मिल सकते हैं। हालांकि, LIC के कर्मचारी और विपक्षी पार्टियां LIC के विनिवेश (Disinvestment) का विरोध कर रही हैं।

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