टीआरपी डेस्क। Indian Air Force Day 2020 कल 8 अक्टूबर वायुसेना दिवस पर दुनिया भारतीय वायु सेना की ताकत को देखेगी। बता दें कि आजादी के बाद से ही देश की वायुसेना को एडवांस करने का सिलसिला जारी है। आज देश की वायुसेना दुनिया के टॉप 5 देशों की वायुसेना में शामिल है। 8 अक्टूबर, 1932 को भारतीय वायुसेना का गठन किया गया था। उसके बाद इंडियन एयरफोर्स के वायुयान ने अपनी पहली उड़ान 1 अप्रैल, 1933 को भरी थी।

आइए जानते हैं वायुसेना के बेड़े में शामिल कुछ खास-खास विमानों की खासियत के बारे में

सुखोई (SU-30MKI)

तंजावुर एयरबेस पर सुखोई का फाइटर एयरक्राफ्ट SU-30 MKI तैनात है। यह दक्षिण भारत में पहला एसयू- 30 एमकेआई लड़ाकू विमान स्क्वाड्रन है जो समुद्र में भी अहम भूमिका निभाता है।
SU-30 MKI में ब्रह्मोस सुपर सोनिक मिसाइलों को भी लगाया गया जो 300 किमी दूरी तक निशाना साध सकता है। यह फाइटर एयरक्राफ्ट अपने साथ 2.5 टन के वजन वाला सुपरसोनिक ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल को अपने साथ रखने में सक्षम है। चौथी पीढ़ी का यह सुखोई 12वां स्क्वाड्रन है।

राफेल

भारत को अगले साल 2021 तक 36 और राफेल विमान मिल जाएंगे। इतने विमान मिल जाने पर उसकी सैन्य क्षमता और मजबूत हो जाएगी। इनमें 18 अंबाला और 18 हासीमारा एयरबेस पर रखे जाएंगे।

पश्चिम बंगाल स्थित हासीमारा एयरबेस चीन और भूटान सीमा के करीब है। दो इंजन वाले इस लड़ाकू विमान में दो पायलट बैठ सकते हैं। ऊंचे इलाकों में लड़ने में माहिर यह विमान एक मिनट में 60 हजार फुट की ऊंचाई तक जा सकता है।

मिराज 2000

मिराज 2000 विमानों का चयन करना भारतीय वायुसेना की सोची समझी रणनीति थी। भारतीय वायुसेना की रीढ़ समझे जाने वाले मिराज-2000 लड़ाकू विमान डीप पेनिट्रेशन स्ट्राइक करने की क्षमता रखता हैं। भारतीय वायुसेना के 12 मिराज-2000 विमानों के समूह ने जैश के कैंप पर 1000 किलो ग्राम के कई बम गिराए थे।

मिग-29

मिग-29 लड़ाकू विमान में कई खूबियां हैं जो इसे दूसरों से बेहतर साबित करती हैं। अपग्रेड होने के बाद ईंधन भरने के लिए इस लड़ाकू विमान को नीचे उतारने की जरूरत नहीं है। उड़ान भरते समय आसमान में ही रिफ्यूलिंग हो सकती है।

इस विमान को नई मिसाइलों से लैस किया गया है। सिंगल सीटर यह लड़ाकू विमान करीब 2000 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है। इस लड़ाकू विमान की रेंज करीब 1400 किलोमीटर है। यह लड़ाकू विमान 18,000 किलोग्राम वजन ले जा सकता है।

सुखोई-30 MKI

भारत को पहला सुखोई-30 2002 में मिला था। दो इंजन वाले इस टू सीटर लड़ाकू विमान में सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगा है, जिसकी मदद से यह रात और दिन दोनों समय ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। इसमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है और यह 3,000 किलोमीटर की दूरी तक जाकर दुश्मन को नेस्तनाबूद कर सकता है।

मिग-21 बाइसन

इस फाइटर प्लेन साल 2006 में 110 मिग-21 जेट विमानों को अपग्रेड किया गया था। इस अपग्रेडेशन में इसे और शक्तिशाली बनाते हुए मल्टी-मोड राडार और बेहतर संचार प्रणाली के साथ बेहतर विमान बनाया गया था। इस विमान में ‘डंभ बम’ ले जाने के अलावा इसकी मारक क्षमता भी पहले से ज्यादा अपग्रेड की गई।

इसके साथ ही विमान में आर-73 आर्चर शॉर्ट रेंज और आर-77 मीडियम रेंज एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइलों से लैस होने के बाद इसकी हवा से हवा में मारक क्षमता में भी प्रभावशाली तरीके से काफी सुधार किया गया।

तेजस

अप्रैल 2022 तक 32 रॉफेल भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल होने हैं। भारतीय वायुसेना के बेड़े में केवल 16 तेजस मार्क -1 (40 Tejas Mark-1) मौजूद हैं। 8,802 करोड़ रुपये के दो डील के तहत दिसंबर 2016 में इसकी आपूर्ति हुई थी।

सूत्रों का कहना है कि तेजस मार्क 1ए की टेस्टिंग 2022 तक पूरी होने की संभावना है। इसके बाद वायुसेना 123 पावरफुल ईंजन से लैस 170 तेजस मार्क-2 को बेड़े में जोड़ने की कोशिश में है। हालांकि तेजस मार्क -2 और उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) कहे जाने वाले स्वदेशी स्टील्थ के 5वें वर्जन के लड़ाकू विमानों को मिलने में कुछ और साल लगने की संभावना है।

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