टीआरपी डेस्क। कोरोना काल के दौरान सबसे ज्यादा भयावह दृश्य वही था, जब मजदूरों को वापस पैदल अपने घर लौटते देखा गया। मजबूरी में मजदूर पैदल चलकर अपने राज्य लौटे और काम ना होने पर फिर महानगरों की ओर उन्होंने रुख किया। इस बीच कितने मजदूर अपने घर वापस लौटे और कितने फिर वापस काम पर आए, इसका आंकड़ा किसी के पास नहीं है।

केंद्र सरकार के पास भी आंकड़ा नहीं

केंद्र सरकार तक के पास इसका आंकड़ा नहीं है, ऐसा सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के दौरान कहा था। लेकिन अब सरकार ने इससे सबक लेकर भविष्य के लिए तैयारी करना शुरू कर दिया है। पहली बार केंद्रीय श्रम मंत्रालय देशव्यापी श्रमगणना की तैयारी करने जा रहा है।

हर पेशे से जुड़े व्यक्ति की गणना करेगा

मंत्रालय के तहत काम करने वाला लेबर ब्यूरो अब देश में हर पेशे से जुड़े व्यक्ति की गणना करेगा। इसमें देश में कितने डॉक्टर हैं, कितने इंजीनियर हैं, कितने वकील और सीए हैं के साथ-साथ कितने मजदूर, माली, कुक और ड्राइवर की गणना को भी शामिल किया जाएगा। जनवरी 2021 से सर्वे की शुरुआत हो सकती है।

गणना वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर की जाएगी

अभी यह गिनती हर छह महीने और भविष्य में हर तीन महीने में की जाएगी। कमिटी के सदस्य और श्रम ब्यूरो के महानिदेशक डीपीएस नेगी ने बताया कि यह गणना वैज्ञानिक सर्वे के आधार पर की जाएगी। सर्वे के तरीके पर अगले 15 दिन में स्पष्ट नीति बनेगी। 

जिले में सीमित हाउसहोल्ड सर्वे भी किए जा सकते हैं

उन्होंने बताया कि सर्वे में जिला स्तर पर फैक्ट्री, दफ्तर, अस्पताल और आरडब्ल्यूए जैसे संस्थानों से पेशेवरों का आंकड़ा लिया जाएगा। इसके साथ हर जिले में सीमित हाउसहोल्ड सर्वे भी किए जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि आंकड़ा जिला, राज्य और केंद्र स्तर पर तैयार किया जाएगा। सर्वे टीम का प्रशिक्षण भी अगले दो महीने में पूरा किया जाएगा। 

सभी पेशेवरों को सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क से जोड़ा जाएगा

श्रमगणना की जरूरत इसलिए भी है क्योंकि राज्य कामगारों-पेशेवरों की सूचना नहीं देते या देने में देरी करते हैं। अब कानून में बदलाव करके लेबर ब्यूरो को इसके लिए पूरी तरह से शक्ति दे दी गई है। सभी पेशेवरों को सोशल सिक्योरिटी नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। आंकड़ों के आधार पर नीतियों में अपेक्षित बदलाव किए जाएंगे और कामगारों के वेतन पर भी विचार किया जाएगा।

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