टीआरपी न्यूज़। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून ( CAA in India ) हर हाल में लागू होगा और इसके लिए नियम बनाने की प्रक्रिया चल रही है। पश्चिम बंगाल के सिलीगुडी में एक रैली में उन्होंने कहा, ” यह तय है कि सीएए ( Citizenship Amendment Act ) लागू होगा। कोरोना वायरस की वजह से इसे लागू करने में देरी हुई है लेकिन हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं। काम शुरू हो गया है और नियम बनाए जा रहे हैं।”

अगस्त की शुरुआत में ऐसी ख़बरें आई थीं कि गृह मंत्रालय ने सीएए ( CAA in India ) के नियम तय करने के लिए तीन महीने का समय और दिए जाने की मांग की थी। बंगाल में सीएए को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस इस क़ानून के ख़िलाफ़ है और सड़क पर उतरकर विरोध भी जता रही है।

जानिए क्या है सीएए ( CAA in India ) विवाद

सीएए के तहत पाक, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। जो 31 दिसंबर 2014 से पहले आ गए हैं, उन्हें नागरिकता मिलेगी।

इसका विरोध क्यों हो रहा है

पूर्वोत्तर में लोगों को लग रहा है कि शरणार्थियों को नागरिकता मिलने से उनकी अपनी संस्कृति और पहचान खत्म हो जाएगी। मुस्लिमों का कहना है कि सीएए ( Citizenship Amendment Act ) में मुस्लिम शरणार्थियों को न जोड़ना भेदभाव है। मुस्लिम इसेे एनआरसी से जोड़कर देख रहे हैं। भय है कि एनआरसी हुई तो गैर-मुस्लिमों को नागरिकता मिलेगी। इन्हें परेशानी होगी।

1). क्या एनआरसी होगी। अगर हां, तो संभावित वैध डॉक्यूमेंट की लिस्ट क्या होगी?

जवाब: अभी सरकार ने इसका फ्रेमवर्क नहीं बनाया है। तारीख भी तय नहीं है। गृहमंत्री ऐलान कर चुके हैं कि 2024 के आम चुनाव से पहले देशभर में एनआरसी की जाएगी।

2). भ्रम है कि अगर देश में एनआरसी होती है तो गैर-मुस्लिम लिस्ट में न आने पर भी सीएए से लाभांवित हो जाएंगे। मुस्लिम बाहर हो जाएंगे?

जवाब: नहीं, इससे भारतीय नागरिक प्रभावित नहीं होंगे। उन्हें संविधान के तहत मिले मौलिक अधिकार हासिल होंगे। सीएए सहित कोई भी कानून इन अधिकारों को नहीं छीन सकता। सीएए से मुस्लिम भी प्रभावित नहीं होंगे। सीएए का उद्देश्य उन अल्पसंख्यकों की रक्षा करना है जो तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक कारणों से सताए जाते हैं। किसी भी देश या धर्म का नागरिक भारत के नागरिकता कानून 1955 की धारा 6 के तहत आवेदन कर सकता है। मौजूदा संशोधन उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करता है।

3). सीएए से पहले जैसे अन्य देशों के नागरिकों को नागरिकता मिलती थी, क्या वो मिलती रहेगी?

जवाब: इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। ये लोग नागरिकता कानून 1955 की धारा 6 के तहत आवेदन कर सकते हैं। इन तीन और अन्य देशों के मुसलमान नागरिकता के लिए हमेशा आवेदन कर सकते हैं। पिछले छह साल में 2830 पाकिस्तानी नागरिकों, 912 अफगानी, 172 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता दी गई है। भारत और बांग्लादेश के बीच 2014 में सीमा समझौता हुआ था जिसमें 50 से अधिक इलाके शामिल किए गए थे जिसके बाद 14864 बांग्लादेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई, जिसमें काफी संख्या में मुसलमान थे।

4). असम में एनआरसी की लिस्ट से बाहर हुए हिंदुओं को क्या सीएए के द्वारा नागरिकता मिलेगी?

जवाब: बिलकुल। अगर ये आवेदन करते हैं तो इनको नागरिकता मिल सकती है। लेकिन अभी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। एनआरसी में बाहर हुए लोगों के पास ट्रिब्यूनल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जाने का विकल्प खुला है। अगर सभी जगह से उन्हें लाभ मिलता है तो नए कानून के तहत नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।

5). सीएए ( CAA in India ) से कुल 31 हजार के करीब लोगों को ही फायदा मिलने की बात कही जा रही है। क्या ये सही है?

जवाब: अभी कोई सत्यापित आंकड़े नहीं हैं। लेकिन नागरिकता के लिए आवेदन के आधार पर यह संख्या 31,313 है। पहले ये प्रावधान नहीं था, इसलिए लोग आवेदन नहीं कर रहे थे। राज्यसभा में बहस के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने इस सवाल के जवाब में कहा था कि इस बिल के बाद लाखों लोगों को फायदा होगा। एनआरसी में असम में छूटे हुए लोग भी अब इसके लिए आवेदन करेंगे।

6). 31 दिसंबर 2014 के बाद आए शरणार्थियों का क्या होगा। वो कैसे नागरिकता ले पाएंगे?

जवाब: 31 दिसंबर 2014 के बाद आए अल्पसंख्यक कानून की पूर्व की धारा 6 के तहत नागरिकता के लिए पात्र होंगे। उन्हें कम से कम पांच साल तक भारत में रहना होगा, यह प्रावधान पहले 11 साल था। 31 दिसंबर 2014 की तारीख इसलिए तय की गई है कि कानून बनते वक्त तक आए हुए सभी शरणार्थी इसके लिए पात्र हो जाएं। पांच साल की नेचुरलाइजेशन की समय सीमा पूरी कर लें।

7). शरणार्थी कैसे साबित करेंगे कि वे धार्मिक रूप से प्रताड़ित हैं?

जवाब: यह अधिनियम की धारा 6 या धारा 6 बी के तहत किए गए आवेदन में घोषणा के रुप में दिया जा सकता है और इसके लिए धार्मिक उत्पीड़न के लिए किसी विशिष्ट दस्तावेजी सबूत की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ कानून की अनुसूची-3 के तहत दिए गए मानदंडों को पूरा करना है।

8). क्या उन्हें भी नागरिकता मिलेगी जिन पर तीनों देश में कोई आपराधिक केस दर्ज है?

जवाब: कानून में यह व्यवस्था की गई है कि नागरिकों के विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले कोई कानूनी कार्रवाई चल रही है तो उनकी स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता प्रभावित न हो। लेकिन संबंधित देश जहां से विस्थापित हुए हैं, वहां कोई गंभीर मुकदमे हैं तो उसको लेकर जांच की प्रक्रिया को अपनाया जा सकता है। लेकिन कानून अभी इसको लेकर स्पष्ट नहीं है। नियम के साथ कई उपनियम बनेंगे। अगर किसी व्यक्ति पर गंभीर मुकदमा है तो भारत का उस देश के साथ हुए समझौते के मुताबिक आगे की कार्रवाई होगी। अगर अनुसूची-3 के मानदंडों के तहत कोई व्यक्ति झूठी घोषणा देता है तो बाद में नागरिकता रद्द भी की जा सकती है।

9). पूर्वोत्तर के राज्यों में अभी सीएए ( CAA in India ) किन-किन स्थानों पर लागू है?

जवाब: यह संशोधन असम, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे लोगों पर लागू नहीं होगा जो संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं और बंगाल पूर्वी सीमा कानून 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन के तहत आता है, जिसका प्रावधान उनकी मूल और स्वदेशी संस्कृति के संरक्षण के लिए किया गया है। हालांकि इन क्षेत्रों में रहने वाले ऐसे लोग देश के अन्य क्षेत्रों से एक आवेदन कर सकते हैं, जहां यह संशोधन लागू है और उस स्थान से सिर्फ नागरिकता से जुड़े अधिकार हासिल कर सकते हैं।

10). असम के एनआरसी से देश में लागू होने वाला एनआरसी किस तरह से अलग होगा?

जवाब: अभी इस बारे में सरकार ने कोई फ्रेमवर्क नहीं बनाया है। जब देश भर में एनआरसी की घोषणा होगी तो असम में हुई परेशानियों से सबक लेते हुए ऐसे नियम और निर्देश बनाए जाएंगे ताकि भारत में जन्म लेने वाले किसी भी मूल नागरिक को परेशानी न हो।

11). एनआरसी और सीएए ( CAA in India ) में जो लोग शामिल नहीं हो पाएंगे, क्या उन्हें डिटेंशन कैंपों में रखा जाएगा? या सिर्फ नागरिक अधिकार वापस लिए जाएंगे?

जवाब: ऐसे लोगों का कार्ड रद्द करने से पहले उन्हें सुनवाई का पूरा अधिकार मिलेगा। प्रक्रिया चलने तक उन्हें किसी अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा। ऐसे में पड़ोसी देशों से बात की जाएगी और अगर पड़ोसी देश अपने नागरिकों को वापस लेने को तैयार हो जाता है तो उसे सपुर्द कर दिया जाएगा। ऐसा नहीं होता है तो ऐसे लोगों को वर्क परमिट दिया जा सकता है। ऐसे में उन्हें भारतीय नागरिकता कानून की धारा 6 के तहत मिलने वाले अधिकार ही मिलेंगे। (सभी सवालों के जवाब गृह मंत्रालय के अधिकारियों और संसद में दिए गए बयानों के आधार पर हैं)

इधर शरणार्थियों का ये हाल

जोधपुर में 21 हजार शरणार्थी, स्थिति खराब: राजस्थान के जोधपुर में ही अकेले 21 हजार गैर-मुस्लिम शरणार्थी रहते हैं। कोई मजदूरी, कोई कबाड़ी तो कोई पत्थरों की खानों में कामकर परिवार का पालन-पाेषण कर रहा है। अधिकांश झुग्गियों में रहते हैं। हाल ही में केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने सांसद कोटे से इनके विकास के लिए दस लाख रुपए देने की घोषणा की है। यहां इन्हें भी प्रधानमंत्री आवास योजना में जोड़ने और नौकरी दिलाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

दिल्ली में छोटी दुकानों के भरोसे जीवन गुजार रहे शरणार्थी: दिल्ली के मजनूं टीला इलाके में करीब 700 पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी रह रहे हैं। यहां भी इनकी स्थिति बेहद खराब है। सड़क किनारे छोटी-छोटी दुकाने खोलकर गुजारा कर रहे हैं। लोगों को अंधेरे में रहना पड़ रहा है। इनके करीब 100 बच्चे पास के एमसीडी स्कूल में पढ़ते हैं।

गुजरात में शरणार्थी मजदूरी से कर रहे गुजारा: गुजरात में शरणार्थियों के 750-800 परिवार हैं। इनमें अधिकांश मजदूरी करके अपना गुजारा कर रहे हैं। ये कच्छ से अहमदाबाद तक रोजगार के लिए फैले हुए हैं। नागरिकता नहीं होने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।

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