नई दिल्ली। (Corona Bailout package) अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार अगले कोरोना राहत पैकेज खाते में नकदी देने के पक्ष में नहीं है क्योंकि लोग खाते में आई राशि को खर्च करने की बजाय बचत कर रहे हैं।

जबकि सरकार का उद्देश्य उन पैसों को खर्च कराना है ताकि अर्थव्यवस्था में खपत बढ़े और नई मांग का सृजन हो। इसलिए अगले कोरोना राहत पैकेज में ऐसी स्कीम शामिल की जा रही है जिसके तहत बचत की गुंजाइश नहीं हो।
लॉकडाउन आरंभ होने के तुरंत बाद सरकार ने राहत पैकेज का ऐलान किया था जिसके तहत महिला जनधन खाते में प्रतिमाह 500-500 रुपए दिए गए। लेकिन जनधन खातों में जमा राशि के आंकड़े बताते हैं कि लोगों ने खर्च की जगह पैसे को जमा करने पर अधिक फोकस किया।
एसबीआई इकोरैप के आंकड़ों के मुताबिक महिला जनधन खाते में सरकार की तरफ से 500-500 रुपए देने की घोषणा के बाद भारी संख्या में खाते खुले। इस साल 14 अक्टूबर तक जनधन खातों की संख्या 41.05 करोड़ थी और इन खातों में 1,30,741 करोड़ रुपए जमा थे। इस साल एक अप्रैल से लेकर गत 14 अक्टूबर तक 3 करोड़ नए खाते खोले गए जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 60 फीसद अधिक है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अप्रैल से लेकर मध्य अक्टूबर तक जनधन खातों की जमा राशि में 11,060 करोड़ की बढ़ोतरी हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में जनधन खातों की जमा राशि में 7857 करोड़ की बढ़ोतरी हुई थी।
अब जान लें कारण
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक जनधन खाते में जमा रकम को देखते हुए अब शहरी बेरोजगार कर्मचारियों या किसी अन्य की मदद उनके खाते में सीधे तौर पर पैसे देकर नहीं की जाएगी।
सरकार वैसी स्कीम या उन उपायों को पैकेज में शामिल करेगी जिसके तहत लोग अधिक से अधिक खर्च करे और अर्थव्यवस्था की गाड़ी रफ्तार पकड़ सके। नए साल से पहले अगले राहत पैकेज की घोषणा की उम्मीद की जा रही है।
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