नई दिल्ली। दुनियाभर की चार कंपनियों की ओर से कोरोना वैक्सीन के जल्द लाने की घोषणा कर दी है। फाइजर के साथ बायोएनटेक ने भी अपनी वैक्सीन के 95 फीसदी तक कारगर होने की बात कही है। वहीं दूसरी ओर मॉडर्ना और स्‍पुतनिक वी भी कतार में है। सवाल यह है कि यह तमाम वैक्सीन भारत में कब तक उपलब्ध होंगी? कोरोना वैक्सीनेशन (covid vaccination) को कराने में कितना खर्चा आने की उम्मीद है? वहीं सबसे बड़ा सवाल यह है क्या इंश्योरेंस कंपनियों ने इसके खर्च को इंबर्स करेंगी? या यूं कहें कि आखिर कौन पॉलिसी के पास इस खर्च को सहन करने की क्षमता है? देश में यह पॉलिसी कितने लोगों पास है?

यह पॉलिसी उठा सकती है वैक्सीनेशन का खर्च

जानकारों की मानें तो मौजूदा समय में एक ही ऐसी पॉलिसी है, जिसके पास कोरोना वैक्सीनेशन के खर्च को उठाने की क्षमता है। उसका नाम है ओउटपेशंट डिपार्टमेंट यानी ओपीडी मेडिकल पॉलिसी (OPD Medical Policy)। यह वैक्‍सीन के बोझ को उठाने में सक्षम हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट में आईसीआईसीआई लोम्‍बार्ड में चीफ (अंडरराइटिंग, रीइंश्‍योरेंस, क्‍लेम्‍स और एक्‍चुरियल) संजय दत्‍ता का कहना है कि ओपीडी कॉस्‍ट कवर करने वाली इंश्‍योरेंस पॉलिसीज ही कोरोना वैक्‍सीन के खर्च को उठाने में सक्षम हो सकती है। यह पॉलिसी देश में काफी कम लोगों के पास है।

मौजूदा समय इन वैक्सीन की सबसे ज्यादा चर्चा

मौजूदा समय में तीन वैक्‍सीन सबसे ज्यादा चर्चा में है। फाइजर 95 तो बायोएनटेक भी 95 फीसदी कारगर होने का दावा कर चुकी ळै। रूस की स्‍पुतनिक वी भी अपने आपको 92 फीसदी सक्षम बता चुकी है। जबकि ब्रिटेन की मॉडर्ना ने अपने आपको 95 फीसदी कारगर बताया है। जानकारों की मानें तो इनमें दो वैक्सीन अप्रैल 2021 तक भारत को उपलब्ध हो जाएंगी। जहां सरकार कम आय के लोगों को सब्सिडी मुहैया करा सकती है, वहीं दूसरी ओर देश के सभी लोगों को सब्सिडी देना केंद्र के लिए मुश्किल ही नजर आ रहा है।

इंश्योरेंय सेक्टर निभा सकता है अहम कदम

जानकारों की माने तो इस मामले में इंश्योरेंस इंडस्ट्री अहम किरदार निभा सकती है। साथ ग्रुप वैक्सीनेशन के लिए कुछ पॉलिसी कवर लांच कर सकती हैं। हॉस्पिटलाइजेशन रेट में कमी आना इंश्योरेंस कंपनियों के अच्छे संकेत हैं। इससे कंपनियों पर बोझ कम हो जाएगा। जीआईसी फ्रेश डाटा के अनुसार कोविड से रिलेटिड 6,836 करोड़ रुपए के करीब 4.45 लाख क्‍लेम आए हैं। जिनमें से 2,914 करोड़ रुपए के 3.02 लाख क्लेम का निपटारा कर दिया गया है।

क्या कहती हैं कंपनियां

वहीं दूसरी ओर इंश्योरेंस कंपनियों का कहना है कि मौजूदा पॉलिसियों के अनुसार वैक्सीन कॉस्ट को कवर करने के लिए जिम्मेदार नहीं है। अगर सरकार वैक्सीनेशन को कंपलसरी भी कर दे तो भी कंपनियों पर किसी तरह का दबाव नहीं डाला जा सकता है, जब तक इरडा की ओर से हरी झंडी नहीं मिल जाती है।

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