टीआरपी डेस्क। नए साल में प्रदेश को बड़ा झटका लगा है। कल रात से बिजली उत्पादन कंपनी की कोरबा विद्युत ताप संयंत्र पर ताला लग गया। 45 साल तक बिजली पैदा करने के बाद यह इकाई बंद हो गई।

अविभाजित मध्य प्रदेश को रौशन करने वाले इस प्लांट को प्रदूषण अधिक होने के कारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने राज्य सरकार से बंद करने की सिफारिश की थी। करीब दो साल पहले इसकी 50-50 मेगावॉट की 4 इकाइयों को बंद किया जा चुका था। अब 120-120 मेगावॉट की भी इकाइयों को बंद कर दिया गया।

भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) के सहयोग से 1976 और 1981 में कोरबा में विद्युत ताप संयंत्र की 120-120 मेगावाट की दो इकाइयों स्थापित की गई थीं। अपने 45 साल के इस सफर में प्लांट ने न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि अन्य राज्यों को भी सेवाएं दी। अब दोनों इकाइयों से औसतन 90-90 मेगावॉट ही बिजली का उत्पादन हो रहा था।

पहले बंद हुईं 4 इकाइयों का स्क्रैप 75 करोड़ में खरीदा गया था

छत्तीसगढ़ राज्य ऊर्जा उत्पादन कंपनी लिमिटेड (CSPGCL) द्वारा प्लांट्स को संचालित किया जा रहा था। पहले बंद 4 इकाइयों के स्क्रैप को 75 करोड़ रुपये में खरीदा है। दोनों प्लांट्स में 454 नियमित और 550 ठेका कर्मचारी कार्यरत थे।