टीआरपी डेस्क। नए साल के पहले दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाइट हाउस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। लाइट हाउस प्रोजेक्ट देश के हर नागरिक को पक्का मकान मुहैया कराने की योजना का हिस्सा है।

6 राज्यों में अलग-अलग तकनीक से बन रहे घर

त्रिपुरा, झारखंड, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और तमिलनाडु में जीएचटीसी-इंडिया इनिशिएटिव के तहत पक्के मकान बनेंगे। पीएम मोदी ने 6 राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी। हर राज्य में अलग-अलग तरह से आवासों का निर्माण होगा। जैसे गुजरात में मोनोलिथ कन्क्रीट तकनीक से, तमिलनाडु में प्री कास्ट तकनीक का इस्तेमाल होगा।

लाइट हाउस प्रोजेक्ट प्रकाश स्तंभ की तरह- मोदी

पीएम मोदी ने सबसे पहले नए साल की शुभकामनाएं दीं। नई ऊर्जा, नए संकल्पों के साथ, तेज गति से आगे बढ़ने की शुरुआत है। गरीबों, मध्य वर्ग के लिए घर बनाने की नई तकनीक हमे मिल रही है। इसे तकनीकी भाषा में लाइट हाउस प्रोजेक्ट कहते हैं। यह सही में प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। ये देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा देंगे।

कैसे मिलेगा लाइट हाउस प्रोजेक्ट में आवास

सालाना इनकम 3 लाख होनी चाहिए। नगर निगम का निवासी होना चाहिए। कोई अपना घर नहीं होना चाहिए। फ्लैट की लागत वैसे 12.59 लाख है। लोगों को 4.75 लाख में मिलेगा। 1040 फ्लैट बनाए जाएंगे। 2 महीने में ऑनलाइन पंजीकरण होगा। अधिक लाभार्थी पर लॉटरी से आवंटन होगा।

कहां, कैसे मिलेगा आवास

बता दें कि त्रिपुरा (अगरतला), झारखंड, उत्तर प्रदेश (लखनऊ), मध्य प्रदेश (इंदौर), गुजरात (राजकोट) और तमिलनाडु में 1 हजार से ज्यादा आवास बनने हैं। ये मकान नई तकनीक से तैयार हैं। भारत में पहली बार इसका इस्तेमाल हो रहा है। इमारतें भूकंपरोधी होंगी, मकान अलग-अलग टॉवर में होंगे।

क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स

इस प्रोजेक्ट में खास तकनीक का इस्तेमाल कर सस्ते मकान बनाए जाने हैं। दरअसल इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से बीम कॉलम और पैनल तैयार कर मौके पर लाए जाते हैं, जिससे निर्माण की अवधि और लागत कम हो जाती है। मकान के निर्माण में समय भी कम लगता है। काम जल्दी होता है, इसलिए प्रोजेक्ट की लागत भी कम होती है।

मध्य प्रदेश के इंदौर में इस प्रोजेक्ट की तैयारी तेजी से चल रही है। इसमें जो भी मकान बनेंगे, वो प्लस आठ आकार के होंगे। प्रोजेक्ट में जापानी कंपनी की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हो रहा है। मकान के लिए अलग-अलग टॉवर बनाए जाएंगे और यह लगभग साल भर में पूरा कर लिया जाएगा।

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