टीआरपी डेस्क। भारत में कोरोना वायरस (Corona Virus) की वैक्सीन (Vaccine) के मोर्चे पर जल्द ही अच्छी खबर मिल सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत बायोटेक (Bharat Biotech) जल्द ही नेजल वैक्सीन (Corona Nasal Vaccine) का ट्रायल शुरू करने जा रहा है।

नागपुर में जल्द ही वैक्सीन के पहले और दूसरे फेज का ट्रायल किया जाएगा। अभी तक भारत में जिन दो वैक्सीन (कोविशील्ड, कोवैक्सीन) को मंजूरी मिली है वो इंजेक्शन के जरिए दी जाएंगी।
अगले दो हफ्तों में नेजल कोवैक्सिन का ट्रायल होगा शुरू
भारत बायोटेक के डॉ. कृष्णा इल्ला के मुताबिक उनकी कंपनी ने वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के साथ करार किया है। इस नेजल वैक्सीन (Nasal Vaccine) में दो की जगह सिर्फ एक ही डोज देने की जरूरत होगी। डॉ चंद्रशेखर के मुताबिक, अगले दो हफ्तों में नेजल कोवैक्सिन का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए हमारे पास जरूरी सबूत है कि नाक से दी जाने वाली वैक्सीन इंजेक्शन वाली वैक्सीन से बेहतर है। भारत बायोटेक जल्द ही इस ट्रायल को लेकर DCGI के सामने प्रपोजल रखेगा।
जानकारी के मुताबिक, भुवनेश्वर-पुणे-नागपुर-हैदराबाद में भी इस वैक्सीन का ट्रायल होगा। जहां पर 18 से 65 साल के करीब 40-45 वालेंटियर्स का चयन किया जाएगा। गौरतलब है कि भारत बायोटेक अभी भी दो इंट्रा-नेजल वैक्सीन पर काम कर रहा है। दोनों ही अमेरिका की वैक्सीन है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोरोना वैक्सीन का नेजल ट्रायल सही से हो गया तो यह महामारी को रोकने में अहम भूमिका निभा सकता है।
क्या है नेजल वैक्सीन
जिन कोरोना वैक्सीन को अप्रूवल मिला है, वह इंजेक्शन के जरिए दिए जाते हैं। वहीं नेजल वैक्सीन को नाक के जरिए दिया जाता है। वायरस मुख्यता नाक के जरिए ही इंसानों में प्रवेश करता है।
वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के सेंट लुइस में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नाक के जरिए दी गई दवाई ने पूरे शरीर में एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पैदा की, जिससे वायरस नाक और श्वसन पथ में प्रभावी रहा और पूरे शरीर में संक्रमण नहीं पहुंचा।
इंजेक्शन से बेहतर है नेजल वैक्सीन
विशेषज्ञों का कहना है कि नेजल वैक्सीन में गेम-चेंजर बनने की क्षमता है क्योंकि इंजेक्शन के जरिए दी जाने वाली वैक्सीन को इंट्रामस्क्युलर रूप से इंजेक्ट करने से केवल निचले फेफड़े की रक्षा होती है। वहीं नेजल वैक्सीन ऊपरी और निचले दोनों फेफड़ों की रक्षा कर सकता है और वायरस के संक्रमण के साथ-साथ संक्रमण को भी रोक सकता है।
जब मुंह या नाक से वैक्सीन दी जाती है, तो एंटीजन श्लेष्म झिल्ली को प्रस्तुत किया जाता है। अवशोषण बहुत बेहतर होता है और यह जल्दी से लिम्फ नोड्स में जाता है। थोड़ी सी वैक्सीन भी बहुत प्रभावी हो सकती है।