रायपुर। बोगस बिलों के आधार पर आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) लिए जाने और जीएसटी जमा नहीं करने की जांच के लिए राज्य जीएसटी की दो टीमों ने बड़ी कार्रवाई की है। राज्यकर आयुक्त रानू साहू के निर्देश पर जॉइंट कमिश्नर इंफोर्समेंट गोपाल वर्मा के नेतृत्व में बनी दो टीमों ने खरोरा स्थित नूतन स्टील और उनके राजधानी स्थित कार्यालय में जांच शुरू की। प्रारंभिक जांच में बोगस आईटीसी और ज्योति जमा नहीं किए जाने की करोड़ों की गड़बड़ियां सामने आई हैं।

सूत्रों के अनुसार स्टेट जीएसटी को ओडिशा से बोगस कंपनियों के विषय में जानकारियां मिली। जब इसकी जांच शुरू की गई तो यह सामने आया कि उक्त फर्म ने ओडिशा की बोगस कंपनियों से आयरन-स्टील लेना दर्शाया है और इसी आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट भी क्लेम किया है।

खरीदी-बिक्री की भी चल रही जांच

स्टेट जीएसटी की टीम जीएसटी लागू किए जाने वाले साल 2017 से यह गए लेनदेन की जांच कर रही है। जांच के साथ ही इससे पहले लागू वैट व्यवस्था के तहत की खरीदी-बिक्री की भी जांच की जाएगी। टीम ने फर्म के फरिश्ता कॉम्प्लेक्स स्थित कार्यालय में कल दिनभर की जांच के बाद शाम को दस्तावेज जब्त कर लिए। आज आगे की जांच और वेरिफिकेशन की कार्रवाई जारी है

आयरन, सरिया आदि का उत्पादन किया जाता

इसके अलावा टीम कच्चे माल के स्टॉक की भी जांच करेगी। टीम की प्रारंभिक जांच में संस्थान द्वारा 2 माह से जीएसटी भी जमा नहीं किए जाने के प्रमाण मिले हैं। संस्थान द्वारा इंटीग्रेटेड स्टील फैक्ट्री में आयरन, सरिया आदि का उत्पादन किया जाता है।

जानिए क्या होता है इनपुट टैक्स क्रेडिट

पक्के बिल से जो माल ख़रीदा जाता है उसपर लगा जो टैक्स देय होता है, उसी पर आपको जीएसटी रिटर्न भरने से इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलता है। उदाहरण के लिए मान लीजिये किसी मैन्युफक्चरर ने अपने उत्पाद बनाने के लिए 100 रूपए का कच्चा माल खरीदना पड़ रहा है और इस पर उस इस पर 12 फीसदी टैक्स देना पड़ता है। इससे मैन्युफक्चरर को कुल 112 रुपये खर्च करना पडा। अब मैन्युफक्चरर जो सामान तैयार कर रहा उस पर कीमत होता है 120 रूपए, और इस पर जीएसटी है 18 फीसदी। ऐसे में उसे सिर्फ 6 फीसदी ही टैक्स चुकाना होगा। जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था के फायदे के लिए सभी ने रजिस्ट्रेशन करा रखा हो, कच्चा माल मुहैया कराने वाले से लेकर रिटेलर तक।

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